बुधवार, 18 नवंबर 2020

PMO अनूठा, मामले को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता": सुप्रीम कोर्ट ने PM मोदी के वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा जिसमें 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि देश के सबसे महत्वपूर्ण कार्यालय, यानी पीएमओ और इससे संबंधित मुद्दे को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता है। ऐसा तब हुआ जब याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कई बार स्थगन और पासओवर की मांग की।सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा, "हम पहले ही इसे कई बार स्थगित कर चुके हैं। यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जो प्रधानमंत्री के अनूठे कार्यालय के इर्द-गिर्द घूमता है। हम इसे अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रख सकते।" अधिवक्ता प्रदीप कुमार ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल, पूर्व बीएसएफ जवान के नामांकन को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था और उन्हें नोटिस जारी होने के बाद पर्याप्त समय नहीं दिया गया था। इस बिंदु पर, सीजेआई बोबडे ने उनसे पूछा कि उक्त विवाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में कहां उठाया था।वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पीएम मोदी के लिए उपस्थित हुए और उन्होंने अदालत को बताया कि विवाद को उच्च न्यायालय के समक्ष नहीं उठाया गया था और न ही अब इसे उठाया गया है। गौरतलब है कि 6 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लोकसभा चुनाव जीतने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। पीएम मोदी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका बीएसएफ से बर्खास्त जवान तथा समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने दायर की थी। नामांकन से पहले तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज हो गया था।


हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने 58 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा था कि याचिकाकर्ता को इस चुनाव को चुनौती देने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह न तो वाराणसी का मतदाता है और न लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहा है। इसलिए उसे पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता। तेजबहादुर को 24 घंटे में आपत्ति दाखिल करने का अधिकार था किंतु याचिका में यह आधार लिया गया है कि उसे आपत्ति करने का 24 घंटे का समय नहीं दिया गया। दरअसल, वाराणसी सीट से नामांकन दाखिल करने वाले बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल की थी। याचिका में तेज बहादुर ने पीएम मोदी का चुनाव रद्द करने की मांग की थी। तेज बहादुर को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। तेज बहादुर ने चुनाव अधिकारी पर आरोप लगाया था कि पीएम मोदी के दबाव में गलत तरीके से चुनाव अधिकारी ने उसका नामांकन रद्द किया था, जबकि गलत तथ्य देने व सही तथ्य छिपाने के आधार पर नामांकन निरस्त किया गया था। याचिका पर 23 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। पीएम मोदी की ओर से ये दलील दी गई थी कि वह वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं हैं। साथ ही नामांकन खारिज होने के बाद वह वाराणसी सीट से प्रत्याशी भी नहीं थे। लिहाजा निर्वाचन को वही व्यक्ति चुनौती दे सकता है जो कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का मतदाता या प्रत्याशी रहा हो। चुनाव याचिका में तेज बहादुर यादव का आरोप था कि उनका नामांकन सेना से बर्खास्त होने के चलते रद्द किया गया है, जबकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी को उसके पद से बर्खास्त किया जाता है तो वह पांच साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता, जब तक कि चुनाव आयोग उस व्यक्ति को इस बात का सर्टिफिकेट न जारी करे कि देशद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोप में उसे बर्खास्त नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय जिला चुनाव अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 और 33 (3) के तहत प्रावधानों के दुरुपयोग की सराहना करने में विफल रहा है। अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्वारा दायर की गई ट और अधिवक्ता संजीव मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में आगे कहा गया है कि मामले की योग्यता को ध्यान में रखने में नाकाम रहने पर उच्च न्यायालय द्वारा एक गंभीर त्रुटि की गई है और इस तरह, सिविल प्रक्रिया संहिता के VII नियम 11 के आदेश के "महज तकनीकी आधार" पर याचिका को खारिज करने को गलत ठहराया। पूर्व बीएसएफ जवान ने वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से अपने नामांकन को अस्वीकार करने के रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले को चुनौती देते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वालीपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था



मनरेगा पार्क वाले गांवों को बनाया जायेगा आदर्श गांव

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने समस्त उप जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे अपने खंड विकास अधिकारियों से उन गांवों की सूची प्राप्त करे जहां पर मनरेगा पार्क विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनपद में ऐसे 45 गांव में पार्कों को विकसित किया गया है। इन सभी गांव को आदर्श गांव बनाना है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक इन गांवों में स्वयं जाकर के पब्लिक मीटिंग करें और इस मीटिंग में शिक्षा विभाग के एबीएसए और गांव के विद्यालय के सभी अध्यापकगण, बाल विकास की सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग की एएनएम और आशा,  पंचायत सचिव रोजगार सेवक किसान सहायक, प्रधान ग्राम एवं अन्य पुरुष और महिलाएं उपस्थित रहे। गांव को आदर्श शिक्षित गांव बनाना, गांव में सभी पात्र विधवा, विकलांग, वृद्धावस्था, किसान सम्मान निधि, सुमंगला योजना आदि के सभी पात्र लोगों का ऑनलाइन आवेदन करा कर उसकी स्वीकृति कराना, कोई पात्र वंचित न रहने पाए। स्कूल की दीवारों का पुरातन छात्र जो किसी न किसी अच्छी पद पर हो उनका नाम, मोबाइल नंबर के साथ लिखवाना और प्रत्येक माह की 01 तारीख को उन्हें बुलाकर सम्मान करना। सभी पात्रों को गांव के 04 महिलाओं के कर कमलों से पोषाहार का वितरण कराना। सभी वंचित और पात्रों का नाम पर राशन कार्ड बनाना, राशन वितरण के लिए चार लोगों की कमेटी बनाना जो अपनी उपस्थिति में सभी को निर्धारित मात्रा में निर्धारित मूल्य पर राशन वितरण कोटेदार से कराएं। भूमि विवादों को चिन्हित कर उन सभी विवादों को पुलिस और राजस्व निरीक्षक की संयुक्त टीम द्वारा निस्तारित कराना। सभी मृतक काश्तकारों के वारिसों का नाम अविवादित मामलों में खतौनी में दर्ज कराकर उन्हें खतौनी उपलब्ध कराना। गरीब वंचित पात्र लोगों को आवासीय पट्टे की भूमि उपलब्ध करना। गांव में कूड़ा प्रबंधन की समुचित व्यवस्था करना। गांव में प्रतिदिन समुचित सफाई के साथ प्रति सप्ताह एक बार सभी नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव और पूरे गांव में और सबके घरों में फागिंग कराना। गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग के लिए डॉक्टर और एएनएम और काउंसलर के माध्यम से उनकी काउंसलिंग कराना। परिवार रजिस्टर में सभी के नाम चढ़ाना। सभी परिवारों को परिवार रजिस्टर की नकल बनाकर उपलब्ध कराना। पात्र लोगों के मनरेगा जॉब कार्ड बनवाना। पैमाइश व बंटवारे व नामांतरण के वाद किसी भी न्यायालय में लंबित हो उनको ससमय निस्तारित कराना। पंचायत भवन को सुव्यवस्थित कर संचालित कराना। सामुदायिक शौचालय को शासनादेश अनुसार उच्च कोटि का संचालन कराना। विकास कार्यों को और आए हुए धन का पूरा विवरण दीवार पर लिखवाना। ग्राम स्तरीय सभी अधिकारियों/कर्मचारियों का नाम, पद नाम, मोबाइल नंबर और गांव में आने का दिन को दीवाल पर लिखवाना। विद्यालय का सर्वांगीण कायाकल्प करना। विद्यालय में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराना। प्रतिदिन आधा घंटा संस्कार की शिक्षा बच्चों को देना। गांव वासियों के विद्यालय में सहभागिता बढ़ाना। विद्यालय में 4 से 5 अभिभावकों को प्रतिदिन बुलाना। विद्यालय में दोपहर भोजन के समय बच्चों के साथ गांव के चार पांच लोगों को आमंत्रित कर सहभागिता करना, जिससे वह खाने की गुणवत्ता देख सकें। पंचायत भवन में ग्राम स्तरीय सभी अधिकारियों की नेम प्लेट लगाना और उनके बैठने की व्यवस्था करना। गांव के सभी हैंडपंप जो खराब हो उनको ठीक करा कर चालू करना। गांव के सभी घरों में 20 लीटर या उससे अधिक साइज के कूड़ा दानों की व्यवस्था करना। गांव में सार्वजनिक जमीन पर गांव के कूड़े को व्यवस्थित रूप से डालने और उसको खाद बनाने के लिए गड्ढों की व्यवस्था कराना। गांव की सभी श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीकरण कराना। युवक मंडल दल द्वारा खेलकूद की टीमें तैयार कर खेलकूद को प्रोत्साहन देना। धन की उपलब्धता के आधार पर पूरे गांव की सड़कों का सुदृढ़ीकरण। जल निकासी की व्यवस्था। गांव के शौचालय जो लोगों के बनाए गए हैं उनका सभी उपयोग करें यह सुनिश्चित करना। खुले में शौच से पूरी तरह से मुक्त करना। गाव में अगर कोई आवारा पशु हो तो उनको पकड़ कर गौशाला भेजना। गांव में कॉमन सर्विस सेंटर खुलवा कर उसको प्रभावी बनाना तथा निर्धारित दरों पर गांव वालों को सुविधाएं उपलब्ध कराना। उक्त सभी कार्य करके गांव को आदर्श बनाया जाने हेतु उप जिलाधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पूरे जुनून और ताकत के साथ इन गांव को आदर्श बनाकर मॉडल बना दें जिससे अन्य गांव इंनसे प्रेरणा लेकर के अपने गांव में भी सुधार करें। किये गये कार्यो की सूचना प्रतिदिन मेरे व्हाट्सएप पर भी अवगत कराये। एक सप्ताह बाद इस कार्यो की मीटिंग कर कार्यों की समीक्षा गांववार की जाएगी।


गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

इल्लुमिनाटी के बैनर तले अपने काम को अंजाम दे रहा है -GCG गैंग और शाशा गुप्ता - जहीर अहमद ।

   जब आत्मसम्मान और स्वाभिमान नाम की चीज मर जाती है, तब पैदा होता है कोई शाशा गुप्ता ,हमारी तो समझ से परे है यह, एक आदमी पूरी दुनिया में घूम घूम कर केवल और केवल लोगों को लूट रहा है हिंदुस्तान का नाम ले जाकर दुबई में डुबो चुका ,जेल की हवा खा कर वापस लौटा और हमारी सरकार मूकदर्शक बनी हुई इंतजार कर रही है कि कोई एफ आई आर हो तो जेल भेजें अगर किसी के खिलाफ जांच होगी और जांच हुई और दोषी पाया गया, तो जेल हो जाएगी और यही तो हर अपराधी चाहता है,लूट लूट कर छिपाया, जेल गया ,जेल से जमानत लेकर शान से मुकदमा लड़े लेकिन इन सब से निवेशकों का क्या फायदा हुआ? क्या हम समझ लें कि हिंदुस्तान हमारा बेईमानों का देश है ,निवेशक किसी पर भरोसा ना करें, कोई भी वेबसाइट बना ले कोई भी लूटपाट करता रहे उसके खिलाफ अखबारों में छपता रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता निवेश करना है तो अपनी जिम्मेदारी पर करो ,कोई खुलेआम अपने अकाउंट में लाखों रुपया ले रहा है, सपने दिखा दे, छोटी बड़ी पूंजी  के लोग सात हजार से सत्तर हजार,एक लाख,पांच लाख,पच्चीस लाख कुछ भी लगाएं और कोई बेईमानी करता रहे सरकार को कोई फर्क नही पड़ता,सरकारी टैक्स की वसूली के लिए जेल जाना पड़ सकता है सरकार का पैसा ना दो तो उसके लिए जेल जाना पड़ सकता है? या तो कमाओ नहीं और कमाने की कोशिश में डूब जाए तो सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं? सरकार का पैसा, पैसा है?हमारा पैसा कोयला है क्या? सरकार को अपनी नीति में बदलाव करने पड़ेंगे नहीं चलेगा ऐसा ,जिंदगी भर ऐसे ही पिछड़ा भारत बना रहेगा ।दुबई ,सिंगापुर, ओमान, में बेईमानी सोचना भी गुनाह है और हमारे यहां? लेकिन ऐसा होगा ,नहीं अब कुछ अलग होगा खासतौर से ऐसे शाशा गुप्ता के मामले में, पाई पाई का हिसाब होगा पहले थाने में पिटोगे या प्रवर्तन निदेशालय के सामने बकोगे ?यह तो वक्त बताएगा ,एक बार फिर साबित होगा कि कानून के हाथ लंबे हैं व्यापार के नाम पर ठगों का गिरोह सक्रियता के साथ लोगों को लूटता रहता है और संपत्ति अर्जित करता है और संपत्ति अर्जित कर  जब वह विदेश भाग जाता है तब खुलती है सरकार की आंख क्या हम आज और अभी भी उतना ही पिछड़े हैं जितना बीस वर्ष पहले थे, अगर नहीं तो फिर ऐसी कंपनियों पर लगाम लगनी चाहिए , माई गल्फ कॉइन, गल्फ क्वाइन गोल्ड,वेलकम टू हेल, हौली डे हर्ट्ज और अब इल्लुमिनाटी गोल्ड यह सब एकही दिमाक की उपज है,और खुद सेफ होकर बैठा है और उसका गैंग अपने काम को एकबार फिर इल्लुमिनाटी के बैनर तले अपने काम को अंजाम दे रहा है।सरकार को संज्ञान में लेते हुए कड़े कदम उठाने चाहिए और विशेष तौर से तब और जब रोज़ किसी एक ही कंपनी और एक ही व्यक्ति के खिलाफ बराबर आवाज़ उठती हो।आज GCG/इल्लु मिनाटी ज्वेल्स के साथ काम कर रहे साथियों कोई सपने मत देखिए ,पिछले कई वर्षो तक गल्फ कॉइन गोल्ड की सफलता की कहानी सुनाने वाले यह लोग झूठे और मक्कार हैं कुछ लोग तो जो जीसीजी में पैसा डूबे हैं वह अपना पैसा निकालने के लिए ही इसे कर रहे हैं मैं गवाह हूँ  मैं जहीर अहमद सबूत हूं मुझसे पूछ सकते हैं मेरे वाट्सएप्प (7408839386)पर जीसीजी के साथ हमारी तबाही की कहानी।


इल्लुमिनाटी /गल्फ क्वाइन गोल्ड से खुद को बचा लो,ये लुटेरी कंपनी है।-अशोक खरवार


  1.  
                जो केवल अपने लिए अपनी अय्याशी के लिए जीवित हो, जिसको अपने  कुकर्मों   पर भी घमंड हो ,जिसकी अपनी कोई मर्यादा ना हो वह इंसान हो सकता है क्या
    ?और किस कानून पर हम नाज करते हैं ? काहे को हम मोदी मोदी जपते हैं?
    सीधे-साधे भोले भाले गरीब लोगों को ऊंचे ऊंचे बड़े-बड़े सपने दिखाना और
    लूट कर दूसरों के धन पर अय्याशी करना,जिसके सहयोगी और साथी भी इंसान के
    रूप में सीधे सीधे हैवानों से भी बदतर हों, एक ऐसा इंसान जो केवल और केवल
    लूट रहा है और हिंदुस्तान ही नहीं विदेश घूम रहा है और सरकार की नजर में
    अभी तक नहीं आया? कैसे मान लूं ?कैसे मान लूँ? कि सरकार को पता
    नहीं?सरकार के पास खुफिया तंत्र है जिसके खिलाफ रोज अखबार में छपता हो और
    सरकार  नहीं पता,नही पता है तो ठीक है , ऐसे लापरवाह सरकार ने अच्छा है
    गुलाम ही रहना  ठीक है ऐसे लोगों के खिलाफ एफ आई आर करने जाओ तो करोड़ों
    का मामला है पैसा बिना पैसे के एफ आई आर होगा नहीं ,और हो भी गया तो
    जमानत मिल ही जाएगी और फिर चलूँ मुकदमा लडूं फिर वही तारीख पर तारीख ।
    भाड़ में जाए ऐसी व्यवस्था, हम गरीब लोग हैं लाचार हैं लाख दो लाख बहुत
    मायने रखता है मुकदमा नहीं लड़ेंगे एफ आई आर भी नहीं कराऊंगा समझ लूंगा
    किसी शाशा गुप्ता नामक ठग ने हमको ठग लिया और हम ठगा गए हमें अपनी
    बददुवावों पर भरोसा है हम सबकी बददुवाएं उस को जीने नहीं देगी अपने पाप
    के तले दब कर मर जाएगा । हमारा परिवार जिस वजह से भूखा रहा ,जिस वजह से
    हमें थाना,चौकी,गाली,बड़े बड़े दुर्दिन देखे तो दुवा थोड़े ही निकलेगी?
    हिंदुस्तान है यहां कानून आंख में पट्टी बांधकर घूमता है ज्यादातर पुलिस
    घुस खोर है फिर भी ज्यादा तर तो न्याय ही होता है। ये लड़ाई भी देखने
    लायक होगी इसमें कोई दो राय नहीं कि शाशा गुप्ता गिरफ्तार पहले होगा और
    एफ आई आर बाद में होगा । एम एल एम जैसे पवित्र व्यवस्था को गंदा करने
    वाला घटिया इंसान ज्यादा दिन एम एल एम में नहीं चलेगा । जो चंडीगढ़ से
    बैठे-बैठे पूरे देश के लोगों को लूटा हो,पहले एम जी सी फिर जी सी जी फिर
    हॉलिडे हर्ट्ज वेलकम टू हेल  और अब इलुमिनाटी के बहाने लूट रहा है ऐसा
    ऐसा घटिया आदमी  (शाशा) जिसने केवल और केवल लूट हो, शाशा ने  जिस मंच पर
    चढ़कर मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का दुरुपयोग किया है ना उसको महामहिम
    शनि महाराज की कु दृस्टि  ही जेल पहुंचाएगी ।बहुत माला और ताली पाई है
    उसने मंच पर अब मंच पर आए, माला तो अभी भी मिलेगा लेकिन चप्पल की ताली तो
    अभी भी उसको मिलेगी लेकिन गाली के साथ। उसके ऐसे स्वागत के लिए हम हमेशा
    तैयार रहेंगे। हम सब अहिंसा के पुजारी है कानून के पालन कर्ता हैं एक
    सभ्य इंसान है इसलिए उस असभ्य का स्वागत हम पूरी सभ्यता से करने को तैयार
    रहेगें ।हम नही कराएंगे एफ आई आर  इसी बहाने हैम अपनी सरकार को भी
    देखेगें ,कानून को भी देखेगे कि उसके कितने लंबे हांथ है।हम सरकार से
    निवेदन करेंगे शाशा गुप्ता का नया लूट प्रोग्राम इल्लुमिनाटी रोको इसकी
    जांच करो ये एकबार फिर लूटेगी।इल्लुमिनाटी के नेटवर्करों से निवेदन मत
    फसों इसके जाल में ये लुटेरा है लूट कर भाग जाएगा। ये जितना कहेगा कुछ
    नही करेगा ये झूठा ही नही गंदा आदमी है ,इससे अपने आप को बचा लो।अगर आप
    इल्लुमिनाटी आज कर रहे हो उसमें जिस गल्फ क्वायन गोल्ड के सफलता की कहानी
    आपको सुनाई जाती है वो सब झूठ है हम से संपर्क करें हैम बतायेगे इसकी
    असलियत।मेरा मोबाइल नंबर(9198443728) नोट करें, फ़ोन करें वाट्सएप्प करें
    हम बतायेगे इनकी असलियत आपके पास समय है अपने आप को बचालें।इल्लुमिनाटी
    करने वालों भगवान आप की रच्छा करें।


रविवार, 20 सितंबर 2020

GCG निवेशकों का सवाल शाशा गुप्ता से?पहले थाने में पिटोगे या पहले प्रवर्तन निदेशालय में सब कबूलोगे ?

निवेशकों का दर्द समझते हुए और सारे सबूत कंपनी के खिलाफ देखते हुए जब बी बी सी इंडिया न्यूज़24 डॉट कॉम ने कंपनी का कच्चा चिट्ठा सिलसिलेवार खोलना शुरू किया तो गल्फ क्वाइन गोल्ड का मालिक और उसके गुर्गे पहले तो अपनी वेबसाइट बंद कर दियाऔर सोचा मामला हल हो गया परंतु जब बीबीसी इंडिया न्यूज़ 24 डॉट कॉम चार कदम और आगे बढ़ते हुए कंपनी के मालिक की फोटो और उसके कुछ गुर्गों के नाम भी प्रकाशित कर दिया तो कंपनी का मालिक और उसके गुर्गे अपनी औकात में आ गए और पलटवार की धमकी देने लगे उनको शायद पता नहीं ये मोदी सरकार है अब तक की सरकारों में और मोदी सरकार में यही अंतर है कि पहले सत्य परेशान होता था और खो जाता था क्योंकि विजय की नौबत ही नहीं आती थी पहले ताम झाम दिखावा और प्रभुत्व व पैसे की दुनियां थी जिसमें आए दिन सत्य परेशान भी होता था और कभी कभी तो अनहोनी भी होती थी और सत्य पराजित भी हो जाता था। तब की व्यवस्था में लोग बिकने को तैयार बैठे रहते और खरीदने वाले अपने मुताबिक उनकी कीमत लगाया करते थे। पर अब सत्य ना ही परेशान होता है ना पराजित।अब वो दिन आ गया है जब ,संदिग्धों को सरकारी मशीनरी उठा लेती है और स्वयं मुकदमा भी करती है और सजा भी स्वयं ही दिला देती है।अति शीघ्र ही गल्फ क्वाइन गोल्ड के मालिक और उनके गुर्गे इस सच्चाई का अनुभव करेंगे। निवेशकों पर धमकी भारी पड़ेगी।किसी की आर्थिक दुनियां उजाड़ कर अय्याशी करने वालों पाई पाई का हिसाब होगा, निवेशकों को जितना मानसिक तनाव तुमने दिया है उसका हिसाब तुम्हारी जेल यात्रा से ही निवेशक लेना शुरू कर देंगे। नाम ही नहीं एक एक की कारस्तानी ,बैंक अकाउंट, ट्रांजेक्शन्स, फ़ोटो,और भी बहुत कुछ प्रकाशित होने वाला है।और हां केवल प्रकाशित ही नही हो रहा है बल्की सत्य को समर्पित कानून के रच्छकों ने देखना भी शुरू कर दिया है।हां गल्फ क्वाइन गोल्ड का मास्टर माइंड शाशा गुप्ता और उसके गुर्गे, निवेशकों के सामने अक्सर चिल्लाते थे कि मल्टी लेबल मार्केटिंग की दुनियां और क्रिप्टो करेंसी की दुनियां में गल्फ क्वाइन गोल्ड एक इतिहास रचेगी और एक अलग मुकाम बनाएगी। तो एक निवेशक ने बहोत अच्छा लिखा है #हाँ कंपनी अपना इतिहास भी रच चुकी है और अतिशीघ्र ही अपना एक अनोखा मुकाम भी हासिल करेगी ही करेगी। गल्फ क्वाइन गोल्ड पहली कंपनी है जिसने कभी कोई वादा पूरा नही किया केवल लोगों के से पैसा लिया और एक ₹ कभी भी वापस नही किया और अपनी
वेबसाइट के बल पर तीन चार साल लूटा ।निवेशकों के पैसों का केवल और केवल अय्याशी किया हिंदुस्तान में भी और हिंदुस्तान के बाहर भी।ये तो है कंपनी का इतिहास और अब बताते है कंपनी का मुकाम।एम एल एम (मल्टी लेबल मार्केटिंग)और क्रिप्टो करेंसी के दुनियां की, माई गल्फ क्वायन गोल्ड शायद पहली कम्पनी होगी जिसका मालिक और उसके गुर्गे गिरफ्तार पहले होंगे
और एफ0आई0आर0 बाद में होगा बी बी सी इंडिया न्यूज ट्वेंटी फोर डाट कॉम के पास कंपनी और उनके गुर्गों के खिलाफ सारे सबूत और जनबल है इतना ही नहीं कंपनी के निवेशक bbcindianews24.com और हकीकत एक्सप्रेस की टीम का
एक हिस्सा भी बन चुके हैं।

निवेशकों का सवाल शाशा गुप्ता से?


पहले थाने में पिटोगे या पहले प्रवर्तन निदेशालय में सब कबूलोगे?


शाशा गुप्ता लुटेरा होते हुए भी अहंकार में इतना डूबा है कि उसको लगता है कि पूरी मशीनरी बिकाऊ है?तो चलो फटाफट प्रवर्तन निदेशालय में कोई जुगाड़ हो तो वहाँ लगाना शुरू कर दो, सुना है तुम्हारे पास खरीदने का बहोत तरीका है । पैसा,,,,होटल,,,,ल,,,,शायद  कुछ काम आ जाय या शायद इसी बहाने तुम्हे पता चल जाय कि हिंदुस्तान और उसका कानून कितना बदल चुका है।निवेशकों के सपनों को धूल धूसरित कर मजाक उड़ाने  वालों दम है तो एक नोटिस भेज कर देखो वो होगा जो तुम लोगों ने सपने में भी नही सोचा होगा।तैयार हो जाओ बारी बारी से अपनी तस्वीर के साथ अपनी काली करतूत का चिट्ठा पढ़ने और देखने को शुरुआत यहीं से करता हूँ।नाम-अनुराग कोंनहेर,पुत्र-विलास कोंनहेर ,उम्र-35 वर्ष,पता-कोंनहेर गार्डन, नेहरू चौक,विलासपुर।पिन-495001 , इसका परिचय शाशा का गुर्गा। बैंक-यस बैंक,a/c- 004763400000222- IFSC-YESB0000047- (25-07-2017 के बाद से इस अकाउंट की जांच होगी तो टर्न ओवर से सब पता चल जाएगा,वैसे ये एक शातिर आदमी है,इसके और भी अकाउंट है ज्यादातर ये अपनी  पत्नी का अकाउंट ही उपयोग करता है,सम्पूर्ण डिटेल उपलब्ध है) ।।


गुरुवार, 3 सितंबर 2020

मल्टी लेवल मार्केटिंग (एम एल एम) को बदनाम करता गुलफ्कोइन गोल्ड (जी सी ज

कुछ वर्ष पहले माय गल्फ कॉइन जो कि अब जी सी जी गल्फ कॉइन गोल्ड है का प्लान देख आकर्षित हो कर तमाम निवेशकों ने अपनी मेहनत की कमाई निवेश किया था।कंपनी ने अपने प्लान के मुताबिक कई चरणों मे निवेशकों को लुभावने सपने
दिखाती रही।सर्व प्रथम क्रिप्टो करेंसी के रूप में एम जी सी लोगों के निवेश के बदले बेचती रही और सब्जबाग दिखाती रही कि आज जो कॉइन कम्पनी आपको तीन में बेच रही आने वाले कुछ दिनों में कम्पनी उसी कॉइन को कंपनी पुनः दस बीस, पचास, सौ में खरीदेगी। कम्पनी अपने इको सिस्टम द्वारा एक बड़ा बाजार क्रिएट करेगी जिससे आप खुद अपने कॉइन का भाव तय करेंगे,और सपोर्ट स्टोरी के रूप में कंपनी के लीडर निवेशकों को बिटकॉइन की स्टोरी सुनाते रहे कि कैसे कुछ ही वर्ष पहले पचास पैसे का बिटकॉइन लाखों में चला गया। बाज़ार मेंजी सी जी  बिकता रहा और लीडर ऐश करते रहे।खैर महीनों बीत गया ना ही कॉइन का दाम बढ़ा ना ही कंपनी किसी एक्सचेंज पर रजिस्टर्ड हुई फिर कंपनी को किसी तरह नोवा एक्सचेंज का सहारा मिला परंतु बहुत कम समय मे ही नोवा बंद हो गया और एम जी सी अनाथ हो गया।अब फिर कंपनी ने अपने निवेशकों के सामने एक बिग प्लान को अंजाम दिया और लीडरों को समझाया कि कंपनी एक वर्ल्ड लेवल का मयूजिकल शो वेलकम टू हेल (नर्क में स्वागत है)ऑर्गनाइज़ कर रही है जहां टिकट से लेकर खान पान की हर खरीद में एम जी सी का उपयोग होगा और एम जी सी का भाव दस जाना निश्चित है। शो का जबरदस्त प्रोमो लांच कर निवेशकों को खूब लालच देकर बड़ा निवेश कराया गया।नतीजतन शो तो हुआ पर एम जी सी जैसा का तैसा रहा और कंपनी अबनिवेशकों की  बद दुवाओं के साथ नर्क की ओर अग्रसर हो गई।


 लूट खसोट का धंधा बना है जी सी जी
एम जी सी की साख दागदार होने के बाद कंपनी ने अपना प्लान और चरण (फ़ेज़)बदलते हुए और एम जी सी को आकर्षण देते हुए जनमानस में छा जाने की चाहत लिए कंपनी ने जारी किया एम जी सी का एक मोबाइल एप्प  और कहा सभी लोग अपना कॉइन ऍप पर ट्रांसफर करें और रयूमर ये उड़ाया गया कि वेबसाइट बंद होगी, और सबने किया भी वही  कुछ ही दिनों बाद एक मैसेज प्रसारित होता है कि चौबीस घंटे के अंदर अपना कॉइन ऍप से हटालें लाख कोशिश के  बावजूद बहुतो के कॉइन ट्रांसफर नही हो पाए एप्प करप्ट हुआ लोगों के कॉइन गायब हुए।और कंपनी ने ब्लॉकचैन का हवाला देकर शांत करने की कोशिश की परंतु निवेशक ठगे तो थे लेकिन चुप रहे। कंपनी अपने क्रिया कलापों से दागदार होती जा रही थी।पुनः कंपनी ने शायद सोची समझी साजिश के तहत एम जी सी को बदलकर जी सी जी का निर्माण किया और तीन एम जी सी बराबर एक जी सी जी बनाकर वजन दार और बेदाग कॉइन निवेशकों के सामने प्रस्तुतकिया।और फिर जी सी जी का भी ऍप और वही पुराना ड्रामा जी सी जी का भी ऍप वैसे ही करप्ट हुआ और निवेशक का कॉइन फिर लुटा ।इस बार निवेशकों के कॉइन बड़े पैमाने पर डूबे, निवेशकों को समझ आ गया कि कंपनी को अपना कॉइन लेना है वोकिसी न किसी बहाने ले लेगी और साइट खुला रख कर ईमानदार भी बनी रहेगी। और हुआ भी वही,कॉइन लुटा,एप्प बंद हुए,साइट अब भी खुली है और कंपनी अपनेतीन चार,साल सफलता का कीर्तन अलाप रही है।अब कम्पनी ने अपने आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का हवाला देते हुए सम्पूर्ण आफिस दुबई ट्रांसफर कर भारतीय निवेशकों को समझाया कि जी सी जी पर भारतीय कानून लागू नही होता ।लेकिन शर्तेंनिजताजिस कंपनी के खैर ख्वाह भ्रस्ट हो वो सफल नही हो सकता, एक कहावत है जैसी नियत वैसी बरक्कत फिर कंपनी ने दुबई का ताम झाम फैलाकर अपने लीडरों द्वारा न्यू फ़ेज़ लांच के तहत नए निवेशकों को अपना दो वर्ष पुराना हवाला देकर वही सड़ा गला वर्चुवल कॉइन, नए निवेशकों को बर गलाकर,झूठी झूठी स्टोरी सुनाकर, पुराने निवेशकों को अपना कॉइन बचाकर रखने की सलाह देते हुए ,उन्ही के द्वारा लाये गए नए निवेशकों या सछम निवेशकों को अपना कॉइन पांच  से लेकर पचास  तक बेचते रहे और कहानी सुनाते रहे और निवेशकों को लूटते रहे। कभी खुद का एक्सचेंज क्रिप्टोबुल लांच कर कभी क्रिप्टो करेंसी का बैंक लांच होनेवाली है कि स्टोरी सुनाकर तो कभी सी बी एक्स लांच कर ,नकली बिटकॉइन देकर कंपनी लोगों को लूटती रही।कम्पनी द्वारा संचालित लीडरों का रैकेट लोगों को लूटता रहा और अपनी जेब भरता रहा।कंपनी अपने ही कुछ चहेतों में रिवॉर्ड अवार्ड बॉट कर ताली बजाती रही और अपने सेअपना पीठ थप थपाती रही।कंपनी दागदार होती गई और निवेशकों की बद दुआओं नेकंपनी को उसकी औकात पर ला खड़ा किया ।खासियत ये रही कि कम्पनी का क्रियेटर शाशा गुप्ता खुद को परदे के पीछे रखता और लोगों के सहारे अपना खेल खेलता रहा।सच का तो पता नही पर इतना जरूर था कि निवेशकों में शाशा गुप्ता की छवि अच्छी बानी रही। जब कम्पनी एम जी सी, जी सी जी, वेलकम टू हेल, क्रिप्टोबुल, जी सी जी , और दुबई का का तामझाम सब खेल चुकी तो मिस्टर शाशा गुप्ता निवेशकों के सामने प्रस्तुत होकर कहते है इस कॉइन को मैं साबित करूँगा की ये एक ऐसेट है आप मुझे दो मेरा कॉइन और मुझसे ही लो हर माह एक प्रतिशत और पुनः जी सी जी एक्सचेंजर के माध्यम से लोगों के बचे खुचे कॉइन कंपनी ने हड़प  लिए। शाशा ने स्वयं अपनी ज़बान से वादा कर पूरा नही किया तो निवेशकों का मोह अब कॉइन,कंपनी, और शाशा तीनो से ही उठ चुका था।


      दुबई से तड़ीपार हुआ जी सी जी 
 सूत्र बताते हैं कम्पनी ओनर शाशा गुप्ता सम्पूर्ण रूप से एम एल एम को समर्पित लीडर है और कई वर्षों से उसकी ऊँची सोच और ऊंची उड़ान की आदत ने उसे भारत से दुबई ही नही और भी कई देशों में पहुचा दिया था ,परंतु जिस तरह हर इंसान में कुछ ना कुछ खामियां और कमजोरियां होती है उसी तरह उसमे भी  आदमी ने पहचान पाने की कमी और बिना पंख आसमान में उड़नेकी आदत ने,बुलंदी पर पहुच कर भी तबाही के कगार पर ला खड़ा किया। धोखेबाज और स्वार्थी तथा गद्दार टीम ने सक्सेस तो दूर दुबई की जेल जाने की नौबत पैदाकर दिया।एक प्रतिशत लोगों को देने को कौन कहे दुबई से भाग कर पुनः भारतमे जीना मजबूरी हो गई।और एक बार फिर कंपनी अपने चंडीगढ़ आफिस में अपनी औकात में खड़ी हो गई। कम्पनी ने भारत में क्रिप्टो करेंसी में प्रतिबंध लग्जाने पर अपना आखिरी दांव होलीडे हर्ट्ज (रियल स्टेट)में खेला लेकिन वहां भी कम्पनी का ग्रह नछत्र खराब ही रहा,वहां भी निवेशकों को भारी नुकसान ही उठाना पड़ा।


 इल्युमिनाटी से दूर होगी दरिद्रता


जी सी जी की तलाश स्वर्णिम भविष्य की ।


एम जी सी/ जी सी जी वैल्कम टू हेल, क्रिप्टोबुल, सी बी एक्स, गल्फ कॉइन एक्सचेंजर, होलीडे हर्ट्ज, जैसे तमाम कोशिशों के बावजूद अपने कॉइन का न तो भाव बढ़ा पाई और ना ही किसी एक्सचेंज पर अपने आपको स्थापित कर पाई।जानकारी के मुताबिक़ कम्पनी अपने आप को पुनःभारतीय बाज़ार में ही स्थापित करने की कोशिश मेंअपने नए प्लान को इल्युमिनाटी ज्वेलर्स के साथटॉय अप करके मल्टी लेबल मार्केटिंग के भारतीय बाज़ार में इतिहास रचने कोआतुर है कंपनी के पास अपना तीन चार वर्षों का इतिहास है कम्पनी के पास अपने तीन चार साल पुराने निवेशक है।


 पुराने निवेशक भी वसूली की तैयारी में।-


 कोई भी एम एल एम  का व्यापार सशक्त एडमिन और निशचिंत निवेशकों व मेहनती लीडरों के बल पर ही चलती है जी सी जी भी अपने इसी टाइटिल के साथ चार वर्षों से तिकी है तो इसमें कोई दो राय नही की एम एल एम की दुनियां में तो ब्रांड बन ही चुका है ,अब अगर सशक्त और ईमानदार एडमिन की बात करें तो गल्फ कॉइन गोल्ड वो चाँद है जिस पर एडमिन से लीडर तक कोई ईमानदार नही रहा है।एक बात दावे के साथ कही जा सकती है कि कम्पनी ने कभी भी अपना कोई भी वादा नहीं पूरा किया। कम्पनी ने निवेशकों से पैसे लेकर जितने बहानों से कॉइन वापस लेकर हड़प करने की कम्पनी के उस ड्रामे की सत्यकथा जिसने कंपनी को चोर ही नही डकैत भी साबित किया है।कम्पनी के पास बिज़नेस लेकर  आई डी सेटिंग का भी इतिहास है जो एम एल एम में घिनौना और नफरत की निगाह देखा जाता है ।जबकी कम्पनी के लीडर  खुल कर कहते हैं कि कंपनी व्यापार करने आई है लीडर का मोह देखने नही।जो लीडर कम्पनी को बिज़नेस नही दे सकता कम्पनी के पास उसका क्या काम ?यानी लीडर जबत बिज़नेस देता रहे तब तक कंपनी चहेते ? बिज़नेस बंद लीडर आउट ।बड़ा बिज़नेस देकर छोटे लीडर की आई डी भी ब्लॉक कराई जा सकती है।कम्पनी के नियर और डियर लीडरों की इज्जत मार्केट में उस मुजरा करती हुई उस तवायफ जैसी है जो के केवल जिधर नोट देखती है उधर पैसा देने वालों को अपने घूँघट में ढक लेती है।इसी कारण कुछ
तो कम्पनी छोड़ कर ही हट गए।कम्पनी के पास अपने तीन साल के सड़े गले और बदबूदार इतिहास के सिवा कुछ नही है।कम्पनी ने अपने पुराने निवेशकों से पैसे तो लिए लेकिन बदले में कुछ नही दिया तवज्जो और तरजीह भी नहीं और इस नए प्लान में भी पुराने निवेशकों के लिए न कंपनी के पास कोई प्लान है और ना ही कोई वादा।कंपनी के वो पुराने कुछ लीडर जो साथ है उन्हें पुराने निवेशक पसंद नही करते ।कुछ नए चेहरों को पटाकर ज़ूम मीटिंग के माध्यम से मंच बनाया है परंतु वो नए चेहरे जिस जी सी जी का पहाड़ा पढ़ रहे हैं वो महा झूठ है ।यदि कम्पनी ने अपने पुराने निवेशकों को विश्वास में नही लिया तो वो दिन दूर नहीँ जब भारत मे भी कंपनी को कानूनी झंझटों का सामना करना पड़ेगा।और शायद उसका एक मात्र रास्ता है कि कंपनी ओनर शाशा गुप्ता अपने पुराने निवेशकों के साथ वार्ता कर कोई हल निकालें अन्यथा  जी सी जी  का गंदा इतिहास उसे जहन्नुम तो ले ही जाएगा।
                                           



   


रविवार, 2 अगस्त 2020

सदर तहसील के सब रजिस्टार अनिल कुमार लाल की मदद से हुई फर्जी वसीयत , मामला कोर्ट में लंबित

जौनपुर ,आज भ्रष्टाचार अपना पैर इस कदर पसार चुका है कि जमीन पर पैर रखते हैं हर सीधा-साधा इंसान भयभीत रहता है कि कहीं हमारा पैर भ्रष्टाचार की दलदल में न फंस जाए क्योंकि आज दुनिया से भरोसा और विश्वास नाम की चीज पूरी तरह से नदारद होती महसूस हो रही है आज बेगानों की तो कोई बात ही नहीं है अपने भी भरोसे के काबिल नहीं है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है इस प्रकरण में दिखाई दे रहा है प्राप्त सूचना के अनुसार जनपद जौनपुर के थाना सराय ख्वाजा अंतर्गत ग्राम जमुहाई के निवासी शेर बहादुर यादव पुत्र रामकिशोर यादव द्वारा अपने चाचा स्वर्गीय राम निहोर की सारी अचल संपत्ति का फर्जीवाड़ा कर वसीयत कराने का मामला प्रकाश में आया है बताते हैं कि स्वर्गीय राम निहोर की पुत्री उर्मिला देवी स्वर्गीय राम निहोर शेर बहादुर यादव को एकदम पसंद नहीं करते थे फिर भी अपनी सारी चल अचल संपत्ति को अपनी पुत्री उर्मिला देवी से बिना बताए वह भी ऐसी स्थिति में वसीयत किए थे जिस दिन उनके ही परिवार में एक लड़की की शादी थी और स्वर्गीय राम निहोर , शेर बहादुर यादव भी पूरे दिन शादी के कार्यक्रम में लगे रहे इस फर्जीवाड़े में तहसील सदर के सब रजिस्टार अनिल कुमार लाल की पोल खोल रही है जिसमें उर्मिला देवी ने वसीयत को तरमीन होने से रोकने के लिए तहसील सदर में आपत्ति दर्ज कराई है तथा वसीयत को निरस्त करने के लिए सिविल कोर्ट जौनपुर में दाखिल किया है तथा फर्जीवाड़े पर कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक जौनपुर आवेदन पत्र दिया है आवेदन पत्र की एक एक शब्द प्रकाशित है


सेवा में श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय


जनपद जौनपुर


विषय- प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिता की संपत्ति हड़प करने की नियत से चचेरे भाई शेर बहादुर पुत्र रामकिशोर यादव ग्राम जमुहाई थाना सरायख्वाजा परगना हवेली तहसील सदर जिला जौनपुर द्वारा फर्जी तरीके से प्रार्थिनी के पिता से कराई गई वसीयत की शिकायत के संबंध में !


 महोदय ,


प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिता दो भाई थे रामकिशोर एवं राम निहोर रामकिशोर के तीन लड़के शेर बहादुर वीर बहादुर एवं तेज बहादुर और प्रार्थिनी अपने पिता स्वर्गीय राम निहोर की इकलौती संतान है महोदय आपको सादर अवगत कराना है कि शेर बहादुर यादव अपने क्षेत्र में श्री 420 के नाम से चर्चित है क्योंकि यह एक ऐसा व्यक्ति है जो शायद ही कोई रिश्तेदार यार दोस्त नहीं होगा जिसे शेर बहादुर यादव ने अपनी मुसीबत बता कर चिकनी चुपड़ी बातों से गुमराह कर 10 दिन 20 दिन के लिए पैसा उधार लिया और आज तक फिर उस रिश्तेदार के घर अपना मुंह दिखाने कभी नहीं किया शेर बहादुर यादव दिन रात सिर्फ सीधे-साधे लोगों को गुमराह कर ठगने की नए नए तकनीक खोजते रहते हैं यह कारनामा व गांव में भी कई गरीब लोगों के साथ कर चुका है कभी नौकरी के नाम पर ,कभी किसी काम के लिए ,कभी किसी काम के लिए, जिससे काम ना होने पर गांव के लोग घर पर आने लगे शेर बहादुर के इस कारनामे से प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिता गुस्सा हुआ करते थे क्योंकि कई लोगों का उलाहना सुनकर पूरा परिवार शर्मसार होता था शेर बहादुर के इस कृत्य से प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिता और शेर बहादुर में हरदम 36 का आंकड़ा बना रहता था प्रार्थिनी के पास कोई सगा भाई नहीं था इसीलिए प्रार्थिनी शेर बहादुर व उनके भाइयों को ही अपना सगा भाई मानती थी ! प्रार्थिनी ने कई बार किसी के ना रहने पर अपने पिता स्वर्गीय राम निहोर से अपनी सारी संपत्ति को अपने जीते जी शेर बहादुर व उनके भाइयों को देने की बात कह चुकी थी जिसके जवाब में प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिता ने जवाब दिया था कि शेर बहादुर एक धोखेबाज आदमी है तुम उसके बारे में नहीं जानती अगर तुम्हारे कहने से मैंने शेर बहादुर के नाम अपनी सारी जायदाद वसीयत कर दिया तो जायदाद के चक्कर में मेरी जान ले लेगा  मैं चाहता हूं   तुम्हारी मां के साथ हम तीनों रजिस्टर ऑफिस में चलें और इस तरह लिखा पढ़ी करे  की  मेरे मरने के बाद सारी चल अचल संपत्ति हमारी पत्नी के नाम हो जाए तथा पत्नी के जीते जी सारी संपत्ति पत्नी के नाम रहेगी तथा मरने के बाद सारी संपत्ति पुत्री उर्मिला देवी के नाम हो जाएगी प्रार्थिनी ने जब अपने पिताजी को यह कहकर समझाने लगी की पिताजी हमारे पास तो भाई नहीं है शेर बहादुर आदि ही हमारे भाई हैं प्रार्थिनी की इस बात पर प्रार्थिनी के स्वर्गीय पिताजी जो बात कही थी प्रार्थिनी उसी बात को सोच सोच कर रोती है उन्होंने कहा था बिटिया अगर हमने किसी तरह तुम्हारे कहने से शेर बहादुर को वसीयत कर दिया यह तुम जान लो कि मेरे मरने के बाद जमीन की तरमीन जैसे ही करवाएगा तुम्हारी मां को लात से मारेगा क्योंकि मैं शेर बहादुर और उसके भाइयों को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं इसीलिए मैं शेर बहादुर को जमीन देने के पक्ष में कभी नहीं रहूंगा महोदय इतनी दूर की सोच रखने वाले प्रार्थिनी  के पिताजी अपनी सारी चल अचल संपत्ति शेर बहादुर को वसीयत कर दे जिसको कभी फूटी आंख से भी देखना पसंद नहीं करते थे फिर शेर बहादुर ने यह वसीयत जिस समय में करवाया था खानदान में एक लड़की की शादी मे पूरे खानदान की छोटे से लेकर बड़े तक सब लोग सुबह शादी वाले कार्यक्रम में लगे थे जिसमें प्रार्थिनी  के पिता तथा वसीयत कराने वाले शेर बहादुर का पूरा परिवार था आखिर एक आदमी एक समय पर 2 स्थान पर कैसे रह सकता है ? इतना ही नहीं वसीयत की गवाही करने वाले गवाहों को बुलाकर पूछताछ कर ली जाए तो मामला एकदम स्पष्ट हो जाएगा ऐसे ही तमाम प्रकरण को देखने से यह साबित होता है कि वसीयत फर्जी है जिसमें रजिस्ट्रार के रूप में हस्ताक्षर करने वाले श्रीमान अनिल कुमार लाल जी का पूरा सहयोग है, यदि पूरे प्रकरण को संज्ञान में लिया जाए यह एक संगीन अपराध की श्रेणी में आएगा जिसकी जांच नितांत आवश्यक है शेर बहादुर द्वारा चोरी से कराई गई वसीयत की जानकारी प्रार्थिनी को होते ही प्रार्थिनी ने तत्काल तरमीन पर आपत्ति लगाई तथा माननीय न्यायालय सिविल कोर्ट जौनपुर में वसीयत निरस्ती हेतु प्रार्थिनी द्वारा तहसील सदर व दिवानी मे मुकदमा लम्बीत है  जब तक फैसला नहीं होता है तब तक शेर बहादुर आदि को खेत जोतने , बोने से मना किया जाए महोदय से सादर अनुरोध है कि वसीयत कराने वाले शेर बहादुर आदि दोनों गवाह सभाजीत यादव पुत्र स्वर्गीय ललई यादव ग्राम खमपुर थाना बक्सा जिला जौनपुर तथा संजय कुमार सिंह पुत्र राम प्रसाद सिंह ग्राम लेधुआ पोस्ट रीठी थाना सिकरारा जिला जौनपुर की पूरी तरह से सहभागिता निभाने वाले सब रजिस्टार अनिल कुमार लाल पर मुकदमा पंजीकृत कर जांच उपरांत कार्रवाई करने की कृपा करें ताकि प्रार्थिनी के साथ किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा हो सके तथा फर्जी करने वाले दोषियों को दंड मिल सके प्रार्थिनी महोदय की सदैव आभारी रहेगी!


                                                                                                                                                                                                                                                                       प्रार्थिनी


                                                                                 उर्मिला देवी पुत्री स्वर्गी राम निहोर


                                                                                 ग्राम जमुहाई परगना हवेली तहसील


                                                                                             सदर जिला जौनपुर      


                                                                            Mo-7052145007


मंगलवार, 21 जुलाई 2020

उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता

  जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित’’ उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 20000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है, जिसमें से रू0 15000 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण के रूप में  तथा रू0 5000 की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। दुकान संचालन हेतु दुकान न्यूनतम पाॅच वर्ष के लिए किराये पर लिये जाने हेतु एवं खोखा/गुमटी/हाथ ठेला क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 10000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है। जिसमें रू0 7500 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में दी जाती है। जिसमें 7500 की धनराशि 4 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में तथा रू0 2500 की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है। ऐसे निराश्रित दिव्यांगजन जो 40 प्रतिशत या इससे अधिक की दिव्यंागता से प्रभावित है हो एवं उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हो। जिनकी वार्षिक आय समय-समय पर शासन द्वारा गरीबी रेखा के लिए निर्धारित आय सीमा के दो गुने से अधिक न हों। जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक किन्तु 60 वर्ष से अधिक न हों। जो किसी आपराधिक अथवा आर्थिक मामलों में सजा न पाये हों तथा जिनके विरूद्व किसी प्रकार की सरकारी धनराशि देय न हों। जिनके पास दुकान निर्माण हेतु स्वयं क 110 वर्गफिट भूमि हों या अपने संस्त्रोंतों से उक्त क्षेत्रफल की भूमि खरीदने/लेने में समर्थ हों। अथवा स्थानीय निकाय/उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद/विकास प्राधिकरण/प्राइवेट बिल्डर्स तथा एजेन्सी से निर्मित दुकान क्रय हेतु, किन्तु दुकान का क्रय किसी परिवारीजन के नाम से अनुमन्य नही होगा। अथवा जिनके द्वारा कम से कम पाॅच वर्ष की  अवधि का किरायेदारी का पट्टा कराया जायें उन्हे उपलब्ध दुकान संचालन हेतु (किराया एवं कार्यशील पूॅजी) अथवा जिनके द्वारा गारन्टी/बन्धक उपलब्ध कराया जायें उन्हें खोखा/गुमटी/हाथ ठेला के क्रय एव कार्यशील पूॅजी हेतु दिया जायेगा। ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जो विभाग द्वारा संचालित कार्यशाला से प्रशिक्षित हो अथवा आई0टी0आई0/पालीटेकनिक या किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त/डिप्लोमा प्रमाणपत्र धारी है और उसी क्षेत्र में व्यवसाय करना चाहता है, उसे वरीयता दी जायेगी। दिव्यांग दुकान पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/संचालन येाजना के अन्तर्गत इच्छुक/पात्र दिव्यांगजन वर्तमान वित्तीय वर्ष में योजना की बेबसाइट http://divyangiandukan.upsde.gov.in  पर आनलाईन आवेदन कर सकते है । आनलाईन फार्म भरते समय आवेदक दम्पत्ति को दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला संयुक्त नवीनतम् फोटो , आयु प्रमाणपत्र जिसमे जन्मतिथि का अंकन हो सक्षम प्राधिकारी के स्तर से निर्गत दिव्यांगता प्रमाणपत्र, राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित खाता, आय प्रमाणपत्र , अधिवास का प्रमाणपत्र तथा आधारकार्ड एवं दो गवाहों की दो-दो आई0डी0 की छायाप्रति को स्वप्रमाणित करते/करवाते हुए मय अनुबंध, आवेदनपत्र के साथ आनलाईन उपरोक्त बेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। योजनान्तर्गत लक्ष्य के अनुरूप 30 दिव्यांगजनों को शासनादेश के अनुरूप लाभान्वित करने की कार्यवाही सम्पन्न की जायेगी। अधिक जानकारी के लिए किसी भी कार्यदिवस में विकास भवन स्थिति कार्यालय, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है ।
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जिलाधिकारी  दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई,जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक


जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी  दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई । बैठक में  जिला बाल संरक्षण अधिकारी संतोष कुमार सोनी द्वारा चयन सेवा संचालन की जानकारी प्रदान  की गई। चाइल्डलाइन की तरफ से  अभिषेक उपाध्याय  द्वारा माह अप्रैल से अब तक आए हुए मामलों का विवरण समिति के समक्ष रखा गया। जिलाधिकारी द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि चाइल्ड लाइन के कार्यालय का निरीक्षण करे। बैठक में  संप्रेक्षण गृह जौनपुर के निर्माण की समीक्षा की गई तथा  अनुस्मारक पत्र भेजे जाने का निर्देश दिया गया ।किशोर न्याय बोर्ड की समीक्षा में विदिशा प्रशासनिक अधिकारी  मुरलीधर गिरी द्वारा अवगत कराया गया कि किशोर न्याय बोर्ड जौनपुर में 1211 मामले लंबित हैं । वर्तमान समय में जौनपुर के 49 बच्चे राजकीय संप्रेक्षण गृह वाराणसी एवं 4 बालिकाएं राजकीय संप्रेक्षण गृह  बाराबंकी में संरक्षित है। स्पॉन्सरशिप योजना की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सभी उप जिलाधिकारियों एवं सभी खंड विकास अधिकारियों से वंचित बच्चों के प्रस्ताव प्राप्त कर लिए जाएं एवं सभी प्रस्तावों की अपने स्तर से जांच करा कर ही स्वीकृति हेतु प्रेषित किया जाए। उपयुक्त व्यक्ति उपयुक्त संस्था की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा  कि इतने बड़े जनपद में उपयुक्त व्यक्ति और उपयुक्त संस्था का चयन होना चाहिए ।इसके लिए अच्छी संस्थाओं एवं गणमान्य नागरिकों से वार्ता कर उनका आवेदन प्राप्त किया जाए एवं बाल कल्याण समिति जौनपुर से उपयुक्त उपयुक्त घोषित कराएं जिससे जनपद के संरक्षण वाले बच्चों को उसका लाभ प्राप्त हो सके। बाल विवाह की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि सोशल मीडिया के माध्यम से बाल विवाह के संबंध में जनमानस को जागरूक करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समिति एवं ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति की बैठकों के संबंध में निर्देशित किया गया कि इस हेतु रोस्टर जारी कराएं एवं रोस्टर के अनुसार सभी ब्लॉक एवं ग्राम पंचायतों में बाल संरक्षण समिति की बैठक अवश्य हो ।
 बैठक बाल कल्याण समिति  के कार्यों की समीक्षा की गई जिसमें बाल कल्याण समिति के सदसय धनंजय सिंह द्वारा बाल कल्याण समिति के प्रकरणों को विस्तार से बताया गया।  जिलाधिकारी ने किशोर न्याय अधिनियम के तहत कोई भी कार्य बाधित नहीं हो,बच्चों के संबंध में होने वाले हर कार्य सजगता से पूर्ण करते हुए जनपद के बच्चों को उसका लाभ दिलाया जाए। बैठक में बाल कल्याण समिति के सदस्य आनंद प्रधान ममता श्रीवास्तव सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश चंद्र यादव बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से श्री आशीष श्रीवास्तव जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश मिश्रा कुलदीप सिंह सहायक श्रम आयुक्त बाल संरक्षण
                                                                     
 


राम जन्मभूमि पर खुदाई में पाई गई कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाले दो याचिकाकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मंदिर के निर्माण के दौरान अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के आसपास की भूमि की खुदाई करते समय पाए जाने वाले प्राचीन अवशेषों और कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की 3 जजों की पीठ ने याचिका को अयोध्या भूमि विवाद के फैसले के कार्यान्वयन को रोकने के प्रयास के रूप में देखा और परिणामस्वरूप इसे तुच्छ समझा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने यह दावा करने का प्रयास किया कि उनकी प्रार्थना केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) स्थल पर लेवल करने और खुदाई का पर्यवेक्षण कर सकता है और जो भी कलाकृतियों और पुरावशेष मिले हैं उन्हें जब्त कर सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह पूछने के लिए हस्तक्षेप किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अदालत के समक्ष ऐसी याचिका क्यों दायर की गई थी।
याचिका खारिज करने के लिए जाने के बाद, न्यायमूर्ति मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा कि "इस तरह की तुच्छ याचिकाएं दायर करना बंद करो! इससे आपका क्या मतलब है? क्या आप कह रहे हैं कि कानून का कोई नियम और न्यायालय का फैसला (अयोध्या का फैसला) लागू नहीं होगा और कोई भी कार्रवाई नहीं करेगा? " सॉलिसिटर जनरल द्वारा इस याचिका को दायर करने के लिए जुर्माना लगाने का आग्रह करने पर, न्यायमूर्ति मिश्रा ने प्रत्येक याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिए कहा जिसे एक महीने की अवधि के भीतर जमा करना होगा।
याचिकाकर्ताओं, जो प्राचीन गुफाओं और स्मारकों के क्षेत्र में शोधकर्ता हैं, ने एएसआई के लिए इस याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था कि वह अपने आस-पास के क्षेत्रों के साथ प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के स्थल की खुदाई करवाए ताकि प्राचीन कलाकृतियां, पुरावशेष और स्मारकों को पुनर्प्राप्त किया जा सके और उनका विश्लेषण करने में वैज्ञानिक अनुसंधान किया जाना चाहिए। ASI द्वारा खुदाई कार्य करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, यह इंगित किया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद 2003 में भी ऐसा ही किया गया था, लेकिन राम मंदिर निर्माण के स्थल पर कोई खुदाई नहीं की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया जो बताती हैं कि मई में मलबे को हटाने के दौरान साइट पर कुछ कलाकृतियां पाई गई थीं, लेकिन एएसआई या केंद्र सरकार को नहीं सौंपी गई थीं। इसके बजाय, यह सूचित किया गया है, इन प्राचीन अवशेषों को साइट पर ही छोड़ दिया गया है, वो भी बिना किसी सुरक्षा के। इस प्रकार, यह प्रार्थना की गई कि केंद्र, राज्य सरकार, एएसआई और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि " प्रतिवादी संख्या 6 (राम जन्मभूमि तीर्थ) से प्राचीन अवशेष, कलाकृतियों, पुरावशेषों और स्मारकों का अधिग्रहण किया जाए, जो मई 2020 के महीने में अयोध्या, जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम के जन्म स्थान की भूमि को समतल करने और खुदाई करने के दौरान पाए गए थे और भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 (1) और 49, 1950 और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थलों के प्रावधान और अधिनियम, 1958 के अनुसार उनका संरक्षण किया जाए।" याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षित किया कि बरामद कलाकृतियों को बिना किसी वैज्ञानिक अनुसंधान या विश्लेषण के हिंदू संस्कृति और धर्म के अवशेषों के रूप में पेश किया जा रहा है। "... उक्त कलाकृतियां और मूर्तियां प्राचीन भारतीय संस्कृति तक पहुंचने के अवशेष हैं और इसलिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है और उनके मूल में वैज्ञानिक, पुरातत्व अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।" इसके अतिरिक्त, यह आरोप लगाया गया कि महानिदेशक (DG), ASI, जो प्राचीन स्थलों और स्मारकों के संरक्षण और संरक्षण के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, की देखरेख में खुदाई और समतल गतिविधियां नहीं की जा रही हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्थानीय अधिकारी और सक्षम एएसआई अधिकारी भी खुदाई के दौरान साइट पर मौजूद नहीं हैं और समतल करने का काम किया जा रहा है, इसलिए इसी तरह पड़ा कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त नहीं किया जा रहा है। अपनी दलीलों पर जोर देने के लिए, यह बताया गया कि हैदराबाद के दलित अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष ने दावा किया है कि उनका प्राचीन बौद्ध संस्कृति और साहित्य के साथ एक निकट संबंध है। सम्यक विश्व संघ के सचिव द्वारा लिखे गए एक पत्र का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें महानिदेशक, एएसआई को कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त करने और संरक्षित करने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा, "यह भी पता चला है कि कहा जाता है कि प्राचीन कलाकृतियां और स्मारक इस स्थल पर क्षतिग्रस्त होने और नष्ट होने के गंभीर कारण हैं। इसलिए, बरामद प्राचीन कला प्रभाव के नुकसान की आशंका से पीड़ित याचिकाकर्ता इस माननीय न्यायालय के समक्ष संपर्क करने के लिए विवश हैं।" यह कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे पर महानिदेशक, एएसआई और अन्य अधिकारियों को इस तरह के मामलों के संरक्षण के लिए एक प्रतिनिधित्व दिया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। निर्माण प्रक्रिया को रोकने के प्रयास के किसी भी विचार का खंडन करने के लिए, याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रार्थना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि " जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण करते समय" फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को खुदाई की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया जाए।


सोमवार, 20 जुलाई 2020

समाजसेवी ने किया भव्य शोरूम का उद्घाटन



स्थानी बाजार के बरसठी रोड पर उद्योगपति समाजसेवी अशोक सिंह ने सोमवार शाम 4:30 बजे गारमेंट्स के भव्य शोरूम का उद्घाटन किया इस अवसर पर उनकी पत्नी शीला सिंह भी मौजूद रही। समाजसेवी उद्योगपति अशोक सिंह ने बताया कि हमारी एक दुकान वियरेबल फॉर मेंस गारमेंट्स के नाम से मुंबई में है उसी गारमेंट्स  की दुकान की शाखा का शुभारंभ सोमवार को रामपुर बाजार के बरसठी रोड पर किया गया। हमारा उद्देश्य है। की जो कपड़ा हमारे मुंबई गारमेंट के शोरूम में मिलता है। वही कपड़ा सस्ते दामों में रामपुर क्षेत्रवासियों को मिले। रामपुर में खुले वियरेबल  फॉर  मेंस गारमेंट शोरूम के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। और मुझे भी रामपुर की जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा। इस संबंध में समाजसेवी शंभू नाथ तिवारी ने कहा कि समाजसेवी अशोक सिंह द्वारा किया गया यह कार्य बहुत ही सराहनीय है।हमारे क्षेत्र वासियों को बड़े-बड़े शहरों के फैशनेबल कपड़े आसानी से रामपुर बाजार में खुले शोरूम में मिल जाएगा इस शोरूम के माध्यम से क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। इस अवसर पर एडवोकेट जेपी मिश्र प्रदीप यादव सौरभ सिंह समर सिंह किस्मत अली सहित अन्य लोग रहे



बुधवार, 24 जून 2020

जहा खुदगर्ज हाकिम हो वहा फरियाद क्या करना

जौनपुर, देश दुनिया मे जौनपुर सितारे हिंद के नाम से मशहूर है शायद यहा कभी बहुत बड़े बड़े काम करके यहा के लोगो ने यह प्रसंसनीय खिताब पाया है, मगर आज का जौनपुर पूरी तरह से भ्रष्टाचार के दल द लमे डूबता जा रहा है ऐसे मे समझ मे भ्रष्टाचारियो की शिकायत करने से पहले यह गीत याद आ जाता है कि “ चिंगारी कोई भड़के ,तो सावन उसे बुझाये , सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये?” यही गीत इस प्रकरण मे एकदम सटीक बैठता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सरायख्वाजा अंतर्गत शिकारपुर चैकी (Shikarpur Chauki) के पुलिस कांसटेबल सुशील कुमार यादव एवं ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) के लेखपाल धर्मव्रत यादव से बुरी तरह पीड़ित व्यक्ति रामकृष्ण यादव पुत्र विजय बहादर यादव निवासी ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) थाना सरायख्वाजा जनपद जौनपुर ने अपने लिखित बयांन मे बताया है कि वह लगभग 4 वर्ष से पुलिस विभाग तथा राजस्व विभाग द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है पीड़ित के बयांन के अनुसार दिनांक १८ध्६ध्२०२० को हल्का लेखपाल धर्मव्रत यादव कानूनगो रवि शंकर दो सिपाहियों के साथ दिन में 10रू30 बजे पीड़ित की अनुपस्थिति में पीड़ित के घर आ पहुंचे घरवालों के पूछने पर लेखपाल द्वारा बताया गया कि विपक्षी प्रेमचंद यादव पुत्र निरहू यादव गुलाब चंद यादव पुत्र घूरहु यादव द्वारा शिकायत की गई है आप लोग मुकदमे की जमीन 1388क व 1401 पर नव निर्माण कार्य कर रहे हो जिसे सुनकर घरवाले आश्चर्यचकित हो गए क्योकि लेखपाल साहब जिस निर्माण कार्य की बात कर रहे थे वह सब कार्य जैसे घर मड़हा लैट्रिंग आदि पूर्व समय में कानूनी कार्यवाही के तहत 1388क व 1401 आराजी नम्बर के बाहर बाहर किया गया था मौके पर उपस्थित लोगों ने लेखपाल से जांच करने के लिए कहा तो जाच मे पीड़ित के सभी कार्य आ0न0 1388क व 1401 के बाहर पाया गया इसके बावजूद लेखपाल धर्मव्रत यादव के कहने पर पुलिस बल के द्वारा पीड़ित के बुजूर्ग दादा एवं बहन को धमकाते हुए कहा गया कि आ0न0 1398 अविभाजित लैंड में भी कोई कार्य नहीं करेंगे जिस पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा है। जब घर वालों ने पूछा आप किस अधिकारी के आदेश पर तथा किस शिकायत पर पुलिस बल के साथ मेरे घर आए हैं तो लेखपाल द्वारा कहां गया कोई प्रार्थना पत्र नहीं है केवल सादे कागज पर लिखकर बताया गया है कि आप यहां कोई कार्य नहीं करेंगे हम इस क्षेत्र के लेखपाल है हम जो कहेंगे वही प्रार्थना पत्र मे शिकायत है और जिस काम के लिए मना करेगे वही कानून है। पीड़ित परिवार के साथ घटने वाली यह घटना पहली बार नहीं थी पीड़ित के अनुसार इसी तरह उसके सामने ही लेखपाल एवं पुलिस द्वारा विपक्ष से पैसे का लेनदेन कर पीड़ित परिवार को पुलिस व राजस्व विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है जिसका पीड़ित के पास पुख्ता सबूत हैपीड़ित के अनुसार लेखपाल एवं पुलि के द्वारा निम्नलांकित तिथियो मे विपक्षी से पेसा लेकर मनमाना कार्यकर पीड़ित का मानसिक शोषण किया गया है। पीड़ित का पुराने घर को तोड़कर नया घर बनाया जा रहा था विपक्षी द्वारा पुलिस से पैसे का लेनदेन कर दिनांक 16.6.2016 को पीड़ित का बनाया जा रहा घर रुकवा दिया गया और कहा गया कि जिस आ0न0 1388क व 1401 पर कार्य हो रहा है उस जमीन पर मुकदमा है विपक्षीयो द्वारा राजस्व एवं पुलिस बल के सहयोग से पीड़ित का कार्य जबरन रोक दिया गया जिसमे पीड़ित द्वारा दिनांक16.9.2016 को एसडीएम सदर के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 16 मई 2016 को थाना इंचार्ज के के मिश्रा द्वारा मुकदमे की जमीन को सीमांकन करने के लिए कहा गया। दिनांक 4.10.2016 को राजस्व विभाग द्वारा जांच कर बताया गया की घर का निर्माण मुकदमे की जमीन से बाहर की जमीन में हो रहा है तब जाकर पीड़ित का घर बना।
इसी तरह विपक्षी द्वारा दिनांक 3.5.2017को पीड़ित द्वारा बनवाया जा रहा लैट्रिंग और छप्पर पुलिस द्वारा रुकवा दिया गया । पुन्ह दिनांक 30.3.2017 को एसडीएम के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 25 .4.2017 को एसआई हरि प्रकाश यादव द्वारा विवादित जमीन का सीमांकन करने के लिए कहा गया दिनांक 15 मई 2017 को राजस्व विभाग द्वारा छप्पर व लैट्रिन को विवादित जमीन से बाहर बताया गया तब जाकर कार्य हुआ।
इसी तरह घटनास्थल पर पडे ईट दिनांक 18. 6.2018 को गिराया गया है जिसका पूर्णता जिक्र जनता दर्शन में दिए गए प्रार्थना पत्र संख्या 15194180142031 में है।सबसे अधिक कष्ट इस बात की है की राजस्व विभाग व पुलिस द्वारा आज तक विपक्षियों को गुमराह कर पैसा लिया जा रहा है उन्हें 1388 का व 1401 का सही स्थान बताया ही नहीं जा रहा है न तो सीमांकन किया जा रहा है क्योंकि हल्का लेखपाल एवं सिपाही को पता है कि हकीकत बता दिया जाएगा तो दोबारा पैसा नहीं मिलेगा इस प्रकार चन्द रूपयो की लालच मे अपने कर्तव्य को भूलकर लेखपाल एवं सिपाही द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है हल्का लेखपाल एवं कांसटेबल द्वारा कि गयी कई घटनाएं हैं जिसको सारा गाव जानता है।
पीड़ित के अनुसार पीडित के घर से कुछ दूरी पर पैसे के लेनदेन की घटना पूरे गाव मे प्रचलित हो चुकी है जानकारी के अनुसार ग्राम सभा हरबसपुर निवासी राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य 5 कड़ी नाली का विवाद चल रहा है जिस पर राम अजोर पक्ष से उस पर अपूर्ण घर बना लिया गया है जब इसकी शिकायत इंद्रजीत व सभा जी द्वारा एसडीएम से की गई तो राम अजोर पक्ष पर 15c का मुकदमा 67A. 3/5 एफ आई आर दर्ज की गई है मुकदमा होने के बावजूद भी लेखपाल व कानूनगो पैसे का लेनदेन कर हर दसवे दिन उस नाली का माप करवाते हैं अलग.अलग सरहदों को पैमाना मानते हैं और पूरी कोशिश करते है कि किसी प्रकार नाली को घर से बाहर दिखाया जाए जिससे राम अजोर का अपुर्ण घर पूर्ण हो जाये किंतु यह कहने के लिए है हकीकत यह है कि लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा राम अजोर अजीत आदि पक्ष को बेवकूफ उनसे पैसा ऐठा जाता है। लेखपाल धर्मव्रत यादव एवं राजस्व निरीक्षक की करतूत इसी से पता चलती हे कि पीड़ित के आ0न0 1398 पर मु0 न होने के बाद भी उसे विवादित बताकर बिना लिखित शिकायत के रोकने आनेवाले लेखपाल राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य मुकदमे होने के हर दसवे दिन विवादित जमीन को नापने आ जाते हैं इस प्रकरण मे पैसों का लेनदेन हरबसपुर निवासी बलराम यादव द्वारा किया जाता है जो वर्तमान में क्षेत्र पंचायत सदस्य है इस प्रकार की कई घटनाएं हैं। जबकि इसके विपरीत गांव के किसान मजदूर द्वारा 50 बार प्रार्थना पत्र देने के पश्चात सड़क नाली चक नहीं मापी जाती है बलराम यादव द्वारा पैसे के लेनदेन करने पर एक सादे कागज पर बिना किसी अनुमति के लेखपाल व पुलिस माप के लिए तैयार हो जाते हैं जिसमें पुलिस की भी अच्छी खासी कमाई हो जाती है,अपने सिपहसालारो के इस प्रसंसनीय कार्य से अंजान जिले के आला अधिकारी अंजान बैठे है या इनको जानकारी है फिर भी गरीब जनता का खून चूसने के लिए धर्मव्रत यादव जैसे रिस्वतखोर दीमक को खुला छोड़ रखे है जो पीड़ित गरीब के मन से कानून का भरोसा खतम कर रहा है।


गुरुवार, 18 जून 2020

प्रदेश सरकार ने लाॅकडाउन अवधि में 14.6 करोड़ लोगों को अब तक पाँच चरणों में 36.40 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का किया वितरण


कोरोना वायरस के फैलने से पूरा देश लाॅकडाउन हो गया। यह महामारी ऐसे समय फैली की आम व्यक्ति इसके लिए तैयार नहीं था। लोगों का जीवन सामान्य गति से चल रहा था। हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग विभिन्न उद्यम करके दैनिक आमदनी से अपनी आजीविका चलाते है। कोविड-19 केे कारण आमजन सुरक्षित रहे, और यह वायरस अन्य लोगों में फैलने न पाये, इसी को दृष्टिगत रखते मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था, कि ‘‘हमे जान भी चाहिए और जहाॅन भी चाहिए‘‘। मा0 प्रधानमंत्री जी की बात को ध्यान में रखते हुए पूरे देश के सभी लोगों ने लाॅकडाउन का पूरा पूरा पालन किया। सभी तरह की मशीनरी बन्द हो गयी। प्रधानमंत्री जी को यह जानकारी थी कि देश में बड़ी जनसंख्या दैनिक आमदनी पर निर्भर है, इसलिए उन्होंने पूरे देश के गरीबों, दैनिक मजदूरों आदि के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना एवं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत देश की जनता में खाद्यान्न वितरित कराने की व्यवस्था की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी लाॅकडाउन के तहत गरीबों, श्रमिकों, आमजन को सार्वजानिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करते हुए प्रदेश के सभी जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रहे है। मुख्यमंत्री जी का ध्येय है कि पूरे प्रदेश मंे कोई व्यक्ति भूखा न रहे, सभी जरूरतमंदों को खाद्यान्न वितरित किया जाय। जिन परिवारों के राशन कार्ड है या जिनके पास नहीं है, ऐसे सभी पात्रों को खाद्यान्न वितरित किया गया। प्रदेश में अन्य प्रदेशों से वापस आये श्रमिकोें/कामगारों को भी खाद्यान्न दिया जा रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी की घोषणा के क्रम में प्रदेश में आत्मनिर्भर भारत योजनान्तर्गत ऐसे प्रत्येक प्रवासी/अवरूद्ध प्रवासी को, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत आच्छादित नहीं है, उन्हें 03 किलोग्राम गेहूं, 02 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट की दर से तथा प्रति परिवार 01 किलोग्राम चना निःशुल्क वितरित किया जा रहा है। सरकार की इस योजना से लाखों श्रमिकों कामगारों को लाभ मिल है। उन्हेें निशुल्क खाद्यान्न वितरित करते हुए खाद्य सुरक्षा प्रदान की जा रही है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत निःशुल्क 5 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट व निःशुल्क 01 किलोग्राम चना प्रति कार्ड के हिसाब से वितरित करने की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में अब तक 14.6 करोड़ लोगों को 05 चरणों के वितरण में 36.40 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया है। 20 जून, 2020 से छठे चरण का खाद्यान्न वितरित होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि प्रदेश के किसी कोने से ऐसी कोई समस्या नहीं आई कि किसी गरीब, असहाय, श्रमिक को खाद्यान्न न मिला हो। लाॅकडाउन के समय सभी जरूरतमंदो को खाद्यान्न दिया गया और दिया जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति/परिवार के पास राशनकार्ड नहीं है फिर भी उसे राशन दिया गया। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा 01 मई से लागू किये गये राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी के तहत 8.64 लाख अन्तःजनपदीय एवं 63,503 से अधिक अन्तर्जनपदीय लाभार्थियों ने राज्य स्तरीय पोर्टबिलिटी का लाभ उठाया है। हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के श्रमिकों/कामगारों को भी खाद्यान्न का वितरण किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगजनों, निःशक्तजनों तथा हाॅटस्पाट एरिया जहां पूर्ण लाॅकडाउन है, उन क्षेत्र के परिवारों को राशन की होम डिलीवरी की जा रही है। हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को राशन दिया जा रहा है।
              लाॅकडाउन के दौरान बहुत से ऐसे परिवार, श्रमिक, गरीब और निःसहाय लोग थे, जिनके पास खाद्यान्न तो था किन्तु किसी कारणवश भोजन बना नहीं पाते थे। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जिसके माध्यम से गांवों में खाना बनाकर परिवारों, श्रमिकों को बना-बनाया भोजन आपूर्ति किया गया। प्रदेश में कम्युनिटी किचन के माध्यम से 6.50 करोड़ से अधिक भोजन पैकेट लोगों के मध्य वितरित किया गया। प्रदेश सरकार कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में अन्य प्रदेशों से आने वाले श्रमिकों/कामगारों को प्रवास के लिए विभिन्न क्वारंटीन सेन्टर एवं ट्रांजिट कैम्प बनाये गये हैं, जहां वह निवासित हैं। ऐसे लोगों को विशेष सतर्कता बरतते हुए अनुमन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति उसी सेन्टर में की जा रही है। ताकि लाभार्थियों के सुगमतापूर्वक इस योजना का लाभ प्राप्त हो जाय और उन्हें उचित दर की दुकानों पर न जाना पड़े।
           कोविड-19 के कारण हुए लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार की सुदृढ़ सुव्यवस्थित वितरण प्रणाली के कारण ही प्रदेश के गांवोे, कस्बों, नगरों, में हर जरूरमंद को खाद्यान्न लगातार मिल रहा है। उ0प्र0 के श्रमिक/ कामगार जो देश के अन्य प्रदेशों से आये हैं, उन्हें प्रदेश सरकार सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा मुहैया करा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के निर्देश के क्रम में जिनके पास राशनकार्ड नहीं है, अथवा राशनकार्ड मिलने में देरी हो रही है, ऐसे  लोगो को ग्राम प्रधान पंचायत निधि से 1000 रूपये दे रहे है। इसके लिए पंचायती राज विभाग द्वारा बजट जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री जी ने नये राशनकार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिये है।


टेलीकॉम कंपनियो से अपने वित्तीय दस्तावेज़ जमा करने को कहा , सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दूरसंचार विभाग (डीओटी) के आवेदन, जिसमें 20 साल से अधिक समय में एजीआर से संबंधित बकाया का निपटान करने की अनुमति लेने की मांग की गई है, उस पर विचार करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को अपने वित्तीय दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दूरसंचार कंपनियों के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए डीओटी को समय दिया। केस जुलाई के तीसरे सप्ताह के दौरान सुनवाई के लिए लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान, पीठ ने सुरक्षा और गारंटी के बारे में पूछा जो बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों से मांगी जा सकती है। वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसने पहले ही डीओटी को 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक गारंटी डीओटी के पास है, जिसे सिक्योरिटी माना जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि 20 साल से अधिक की किश्तों में भुगतान AGR की बकाया राशि को चुकाने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने कहा, "कंपनी को कमाना और भुगतान करना है, और यही एकमात्र तरीका है।" पीठ ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वोडाफोन एक "ब‌ड़ी विदेशी कंपनी" है और उन्हें कुछ डाउन पेमेंट करना होगा। न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कहा, "आपको कुछ राशि जमा करनी चाहिए। सरकार को जनता के लिए इस धन की आवश्यकता है, विशेष रूप से महामारी के दौरान।" टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार ने कहा कि उनके मुवक्किल ने 37000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि महामारी ने कंपनी की आय को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारती एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एएम सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पहले ही 21000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि डीओटी के पास 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी लंबित है। यह मुद्दा गैर-दूरसंचार स्रोतों से राजस्व को शामिल करने के लिए 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (एजीआर) की व्याख्या करने वाले सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2019 के फैसले से भी उठा, जिसके परिणामस्वरूप टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार लाइसेंस के उपयोग के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी का सामना करना पड़ा। मार्च में, DoT ने एक आवेदन दायर कर टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल से अधिक की अवधि में बकाया राशि का निपटान करने की अनुमति देने की मांग की थी। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने गैर-दूरसंचार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, (जैसे गेल ) के खिलाफ समायोजित सकल राजस्व की 4 लाख करोड़ रुपये की 96 प्रतिशत राशि को वापस लेने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अक्टूबर 2019 के फैसले में ये कहा था। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि "हमने एक निर्णय लिया है क्योंकि वे आम जनता को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में नहीं हैं, हम इन PSU के 96% से बकाया की मांग वापस ले रहे हैं।"



पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र पर की गई रिपोर्ट‌िंग में गलत बयान छापने का आरोप ,उत्तर प्रदेश पुलिस ने 'द स्क्रॉल' की पत्रकार सुप्र‌िया शर्मा के खिलाफ दर्ज की एफआईआर


वेबसाइट स्‍क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्र‌िया शर्मा के ‌खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शर्मा ने लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक गांव की हालत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रामनगर पुलिस थाने में एफआईआर दज कराने वाली माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्र‌िया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान को गलत तरीके से प्र‌‌काशित किया है और झूठे दावे किए हैं,पुलिस ने शर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के संबंधित प्रावधानों के साथ आईपीसी की धारा 501 (ऐसे मामलों का प्रकाशन या उत्कीर्णन, जो मानहान‌िकारक हों) और धारा 269 (लापरवाही, जिससे खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका हो) के तहत मामला दर्ज किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लॉकडाउन के प्रभावों पर आधार‌ित अपनी रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक था- प्रधानमंत्री के गोद ल‌िए गांव में लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे लोग, सुप्रिया शर्मा ने माला के बयान को प्र‌‌काशित किया था, जो कि कथित रूप से घरेलू कर्मचारी हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि माला को लॉकडाउन के दौरान बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा, उन्हें राशन की कमी तक पड़ गई। हालांकि, 13 जून की एफआईआर में माला देवी ने दावा किया है कि वह घरेलू कर्मचारी नहीं हैं और उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वह वाराणसी की नगरपालिका में ठेके पर सफाई कर्मी हैं, और उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किसी भी संकट का सामना नहीं किया। उन्हे भोजन भी उपलब्‍ध था। माला ने कहा, " शर्मा ने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा; मैंने उन्हें बताया कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार में किसी को कोई समस्या है।" एफआईआर में माला देवी कहती हैं, "यह कहकर कि मैं और बच्चे भूखे हैं, सुप्रिया शर्मा ने मेरी गरीबी और मेरी जाति का मजाक उड़ाया है। उन्होंने समाज में मेरी भावनाओं और मेरी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।" माला ने शर्मा और स्क्रॉल के एडिटर इन चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। स्क्रॉल डॉट इन ने हालांकि दावा किया है कि माला देवी की टिप्पणियों को "सटीकता" के साथ रिपोर्ट किया गया है और एफआईआर स्वतंत्र पत्रकारिता को "डराने और चुप कराने" का प्रयास है। स्क्रॉल एडिटोरियल ने वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा, "स्क्रॉल डॉट इन ने 5 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गांव की माला का साक्षात्कार किया। उनके बयान को आलेख में सटीकता के साथ रिपोर्ट किया गया। स्क्रॉल डॉट इन लेख का समर्थन करता है, जिसे प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से रिपोर्ट किया गया है। यह एफआईआर COVID-19 लॉकडाउन के दौरान कमजोर समूहों की स्थितियों पर रिपोर्टिंग करने की कीमत पर स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने और चुप कराने का एक प्रयास है। 


प्रताप सेना हिन्दू संघ द्वारा चीन के राष्ट्रपति का निकाला गया शव यात्रा

आज जनपद जौनपूर में प्रताप सेना हिन्दू संघ द्वारा जिला प्रभारी सौरभ सिंह के नेतेत्व में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का चाइना मुर्दाबाद नारों के साथ निकाला गया ।जिसे नई गंज तिराहा पर फूका गया ।साथ ही चाइनीज सामानों के  पूर्ण रूप से बहिष्कार का संकल्प लिया गया।अध्यछ शिवी सिंह ने कहा कि चीन को कड़ा जवाब देना चाहिए।जिसमें भारतीय सेना पूर्णतः सछम है।कार्यक्रम में शिवी सिंह के साथ साथ संगठन मंत्री नीरज सिंह ,महासचिव सनी सिंह राज,जिला प्रभारी सौरव सिंह ,अजय कुमार ,गोपाल सिंह प्रांजल ,अभिषेक, आदित्य ,कपिल ,बाबा धीरज आदि उपस्थित रहे।


शनिवार, 6 जून 2020

थाना सरायख्वाजा पुलिस द्वारा 2 किलो 215 ग्राम गांजा के साथ टाप-10 अपराधी राहुल उर्फ मंजीत गिरफ्तार


पुलिस अधीक्षक जौनपुर द्वारा जनपद में चलाये जा रहे अपराध एवं पुरस्कार घोषित अपराधियों , व अबैध शराब गांजा विक्री करने वाले अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) एवं क्षेत्राधिकारी सदर जौनपुर के निर्देशन में उ0नि0रामसुन्दर सिंह , उ0नि0 अवधनाथ यादव  मय हमराह हे0का0 रविन्द्र सिंह का0 सुनील कुमार का0 रवि कुमार के द्वारा मुखबीर की सूचना अभियुक्त राहुल उर्फ मंजीत यादव पुत्र अरुण यादव निवासी पकड़ी थाना सरायख्वाजा जौनपुर को एक झोला जिसमें लगभग 2 किलो 215 ग्राम गांजा नजायज के साथ दिनांक 04.06.2020 को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी व बरामदगी के आधार पर थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 146/20 धारा 8/20 एन.डी.पीएस एक्ट पंजीकृत किया गया तथा अभियुक्त को जेल भेजा गया । अभियुक्त राहुल उर्फ मंजीत थाना स्थानीय का टाप -10 की श्रेणी का अपराधी है ।


थाना सरायख्वाजा पर तैनातपीआरवी 2342 ने संदिग्ध से मोटरसाइकिल बरामद कर थाने के सुपुर्द किया


पीआरवी 2342 को दिनाँक 05/06/2020 को समय 02:30 बजे थाना सरायख्वाजा अन्तर्गत अपने निर्धारित रुट चार्ट के अनुसार गश्त पर थीतभी भैसोली पेट्रोल पम्प के पास एक संदिग्ध मोटरसाइकिल सवार दिखा, जिसे पीआरवी ने रुकने का इशारा किया, जिस पर संदिग्ध ने कुछ दूर पहले ही मोटरसाइकिल छोड़कर खेत में कूदर भाग गया । पीआरवी ने पास जाकर देखा तो मोटरसाइकिल संख्या यूपी 65 एस 3355 में चाभी भी नहीं लगी थी । पीआरवी ने बरामदाल छोड़कर खेत में कूदर भाग गया । पीआरवी ने पास जाकर देखा तो मोटरसाइकिल संख्या यूपी 65 एस 3355 में मोटरसाइकिल को स्थानीय थाने के सुपुर्द किया ।


थाना नेवढ़िया पुलिस द्वारा गैर इरादतन हत्या के वांछित दो अभियुक्त गिरफ्तार-


पुलिस अधीक्षक जौनपुर के द्वारा चलाये जा रहे अपराध एवं  वांछित अपराधियो  के विरूद्ध  गिरफ्तारी विषयक अभियान के अनुपालन मे तथा अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के कुशल निर्देशन एवं  क्षेत्राधिकारी मड़ियाहू के  निकट  पर्यवेक्षण मे उ0नि0लालबहादुर सिंह प्रभारी पुलिस चौकी सीतम सराय थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर हमराही पुलिस बल का0 उमेश कुमार यादव , का0 संस्कार कुशवाहा के साथ मु0अ0स0  88/2020 धारा 147/148/323/504/506/427/304 भादवि  थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर से सम्बन्धित अभियुक्तगण 1. वीरेन्द्र कहार उम्र 46 वर्ष पुत्र स्व0 सेवालाल 2.करन कहार उम्र 18 वर्ष पुत्र हिन्ता कहार नि0गण ग्राम लाखापुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर को गिरफ्तार किया गया आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है।


 


थाना खेतासराय पुलिस द्वारा 01 शराब तस्कर माफिया गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक जौनपुरद्वारा अपराध एवम् अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के अनुपालन के क्रम मेंअपर पुलिस अधीक्षक नगर के निर्देशन मेव क्षेत्राधिकारी शाहगंज जौनपुर के कुशल पर्यवेक्षण मेंउ0नि हरिशंकर यादव मय हमराह हे0का0 जयराम यादव व का0 राजकुमार यादव द्वारादिनांक 05.06.2020 को मु0अ0सं0-269/19 धारा 60,60(2) आबकारी अधिनियम व 419,420,467,468 भादवि थाना खेतासराय , जौनपुर मे वांछित अभियुक्त शोले राजभर पुत्र जियालाल राजभर निवासी जपटापुर थाना सरायख्वाजा जौनपुर को गिरफ्तार किया गया । अभि0 उपरोक्त की गिरफ्तारी से इस प्रकार के अपराधो पर अंकुश लगेगा । अभि0गण का आपराधिक इतिहास है।



थाना सिंगरामऊ पर तैनात पीआरवी 2350 ने बस में छूटे बैग को बस का पीछाकर बैग बरमाद करते हुये कॉलर के सुपुर्द किया गया

थाना सिंगरामऊ पर तैनात पीआरवी 2350 को दिनाँक 05/06/2020 को समय 07:58 बजे इवेंट 1700 पर थाना सिंगरामऊ अन्तर्गत मछलीशहर से कॉलर ने सूचना दी कि मेरा बैग जौनपुर से लखनऊ जा रही गोला डिपो की बस संख्या यूपी 30 टी 8161 में छूट गया है, जो बदलापुर के लिये निकली है । इस सूचना पर पीआरवी ने तत्काल कार्वाइ करते हुये बस का काफी दूर पीछा किया तो रास्ते में एक बस दिखाई दी, जिसका नम्बर कॉलर द्वारा दिये गये नम्बर से मिल रहा था । पीआरवी ने त्वरित कार्रवाई करते हुये बस को रोकने का इशारा किया । पीआरवी ने कॉलर को मौके पर बुलाकर बैग की पहचान करवाते हुये बैग उसके सुपुर्द किया ।


मध्य प्रदेश का एक पूरा थाना कर दिया गया 'क्वारेंटाइन' : गेट पर जड़ा ताला और स्टाफ को भेजा घर

ग्वालियर. ग्वालियर (gwalior) जिले के चीनौर थाने को स्वास्थ विभाग ने क्वारेंटाइन (Quarantine) कर दिया है. इस थाने में तैनात सभी 20 पुलिस वालों को क्वारेंटाइन कर दिया गया है. थाने परिसर को बंद कर मेन गेट पर ताला (lock) लगा दिया गया है और परिसर के बाहर शिकायत पेटी लटका दी गयी है.थाना क्वारेंटाइन होने के बाद इस इलाके में कानून व्यवस्था (low & order) पर संकट खड़ा हो गया है.इसकी वजह एक सिपाही है जो कोरोना पॉजिटिव निकला है.



भोपाल के सिपाही ने की थी लॉकडाउन ड्य़ूटी

मार्च महीने में भोपाल में तैनात एक सिपाही ग्वालियर जिले के चीनौर थाना क्षेत्र में अपने गांव में छुट्टी मनाने आया था. उसी दौरान देश व्यापी लॉक डाउन हो गया.सिपाही अपने गांव में ही फंसा रह गया. उसके बाद विभाग ने आदेश दिया कि वो  चीनौर थाने में आमद देकर ड्य़ूटी शुरू करे. करीब दो महीने तक इस सिपाही ने चीनौर थाने में ड्यूटी की. लॉक डाउन खुलने के बाद विभाग से फिर नया आदेश आया और सिपाही को एक जून को चीनौर से भोपाल रवाना कर दिया गया.भोपाल पहुंचने पर जब इस सिपाही का कोरोना टेस्ट कराया गया, तो उसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी. खबर मिलते ही हड़कंप मच गया और स्वास्थ विभाग के निर्देश पर चीनौर थाने को बंद कर 20 पुलिसकर्मियों को क्वारेंटाइन कर दिया गया. अब थाने के गेट पर ताला और बाहर शिकायत पेटी लटक रही है. 


MP बोर्ड का बड़ा फैसला, परिवार में कोरोना पॉजिटिव तो बच्चे नहीं दे सकेंगे 12वीं की परीक्षा

भोपाल. लॉकडाउन (Lockdown 5.0) के बाद अब शिक्षा व्यवस्था भी फिर पटरी पर आने वाली है. मध्य प्रदेश में 12वीं बोर्ड की परीक्षा (Board Exam) 9 जून से शुरू होने जा रही है. इसे लेकर अब सरकार की ओर से सभी जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. सरकार के मुताबिक कक्षा 12वीं की परीक्षा में सर्दी, खांसी और हल्के बुखार वाले परीक्षार्थियों की परीक्षा न छूटे इसके लिए एमपी बोर्ड ने आइसोलेशन रूम (यानी रिजर्व रूम )बनाने की तैयारी की है. थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान जिस भी परीक्षार्थी का टेंपरेचर(तापमान) तय मानकों से ज्यादा रहेगा उन्हें अलग से आइसोलेशन रूम में बैठाकर परीक्षा दिलवाई जाएगी. सरकार की मानें तो प्रदेश भर में हर परीक्षा केंद्र पर एक आइसोलेशन रूम तैयार करवाया जा रहा है.

एमपी बोर्ड ने परीक्षार्थियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि अगर उनके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना है या फिर परिवार का कोई सदस्य क्वारंटाइन है तो ऐसे परीक्षार्थी कक्षा 12वीं की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे. परीक्षा केंद्र में शामिल हो रहे परीक्षार्थियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए एमपी बोर्ड ने ऐसे निर्देश दिए हैं


अब मोबाइल करेगा मरीजों की हेल्प

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में बढ़ते कोरोना इंफेक्शन पर स्वास्थ्य विभाग अब चौकन्ना हो गया है. इसके लिए एक नई व्यवस्था तैयार की जा रही है. अब एक क्लीक में मरीज़ को उसके जरूरत का अस्पताल मिल जाएगा. अब शहर के हर अस्पताल की स्वास्थ्य विभाग (Helath Department) मैपिंग कर रहा है ताकि लोगों को इनके घर के पास ही मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो सके. सही समय पर सही इलाज लोगों को मिले और इसके लिए इन्हें ज्यादा दूर भी ना जाना पड़े इस मकसद के साथ स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है. इसके तहत अब लोगों को मेडिकल संबंधित जानकारी उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो सके, ऐसी कोशिश की जा रही है.

बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण मरीज अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. हर छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर मरीज इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं. घर के बाहर निकलने में भी बच्चों और बुजुर्गों के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को डर सता रहा है. आने वाले महीनों में सरकार यूं ही ज्यादा सतर्कता बरतने की लगातार अपील कर रही है. इस बात को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य विभाग अब नई स्ट्रेटरजी पर काम कर रहा है.



अफसर कर रहे केन्द्रों की जांच

विभाग का प्लान है कि शहर की घनी आबादी में संचालित हो रहे छोटे-अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरूस्त की जाए. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि विभाग के अधिकारी यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक का निरीक्षण कर रहे हैं. यहां के वर्किंग प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी बटोर रहे हैं. इस नई व्यवस्था के जरिए लोगों को नजदीकी फीवर क्लीनिक की जानकारी उनके मोबाइल पर ही उपलब्ध हो सकेगी. स्वास्थ्य विभाग के अफसर कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार काम कर रहे हैं. अफसरों का ध्यान इस ओर भी है कि बारिश के मौसम में बीमारी किसी भी हाल में ज्यादा बढ़ने ना पाए. इसके लिए लोग शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक में जाकर सामान्य उपचार, टीकाकरण परिवार कल्याण जैसी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.
ऐसे होगी मैपिंग
शहर के यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक के हर एक मरीज की समस्या को हल करने की विभाग रणनीती बना रहा है. इन संस्थाओं में ये देखा जा रहा है कि यहां फीवर क्लीनिक के लिए जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार काम हो रहा है या नहीं. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के मुताबिक अब बारिश शुरू होने के बाद मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ेंगे. ऐसे में शहर के लोगों की पहली प्राथमिकता ये होगी की घर के नजदीक वाले अस्पतालों में इलाज मुहैया हो जाए ना की हर मामूली बीमारी के लिए सीधे बड़े सरकारी अस्पतालों की तरफ भागना पड़े. मरीजों की सुविधा के लिए विभाग चौकन्ना होकर तमाम व्यवस्थाएं करने में जुटा है. भोपाल सहित प्रदेश भर में संचालित सरकारी अस्पतालों की ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम मैपिंग का काम पिछले साल मैप आईटी ने शुरू किया था, लेकिन बीच में ही ये काम कुछ कारणों से बंद हो गया था. अब कोरोना संकटकाल में आम लोगों को घर के नजदीकी स्वास्थ्य संस्थाओं की जानकारी मोबाइल पर मिल सकेगी. विभाग गूगल के जरिए मैपिंग करने में लगा है.


किसानों की सब्जियों को सरकारी गाड़ी से रौंदने वाला दारोगा सस्पेंड

प्रयागराज. जिले के घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल होने का सीएम योगी (CM Yogi) ने संज्ञान लेते हुए उसे सस्पेंड (suspend) करने के निर्देश दिए जिसके तुरंत बाद एसएसपी प्रयागराज (SSP Prayagraj) ने दारोगा को सस्पेंड करते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने की भी संस्तुति कर दी है. बता दें कि दारोगा सुमित आनन्द द्वारा घूरपुर की साप्ताहिक सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन न होने पर सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंदे दिया गया था. मामले को संदेनशीलता से लेते हुए सीएम योगी ने दारोगा को तत्काल सस्पेंड करने और पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था.



किसानों को नुकसान की भरपाई करवाई गई


सीएम योगी के संज्ञान लेने के बाद एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दारोगा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ एसएसपी ने सीओ को मौके पर भेजकर किसानों को उनके नुकसान की भरपाई भी करायी है. फिलहाल 11 किसानों को मौके पर जाकर सीओ ने क्षतिपूर्ति दे दी है. इसके साथ अन्य किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जिन्हें उनके नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया जायेगा. एसएसपी ने दारोगा के कृत्य को गम्भीर मानते हुए हुए विभागीय कार्रवाई के भी आदेश दे दिए हैं. इसके साथ ही जनपदीय शाखा में दारोगा को न रखे जाने की भी एसएसपी की ओर से संस्तुति उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है. एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध ने बताया कि दारोगा के वेतन से किसानों को हुए नुकसान की रिकवरी भी की जाएगी. दरअसल बुधवार और शुक्रवार के दिन ही घूरपुर में साप्ताहिक सब्जी मंडी लगनी तय थी.


शनिवार से खुलेंगे सभी सरकारी स्कूल, स्टूडेंट्स की रहेगी छुट्टी

मऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अब अनलॉक (Unlock 1.0) होना शुरू हो चुका है. ऑफिस, दुकाने उद्योग इत्यादि खोले जाने के बाद अब शनिवार से सभी सरकारी स्कूल-कॉलेज भी खोलने के आदेश दे दिए गए हैं. जिला बेसिक शिक्षा विभाग (District Basic Education Department) के निर्देशानुसार तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर कार्य संपादित करेंगे. जबकि बच्चों की छुट्टी रहेगी और विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा.
शासन के निर्देशों के अनुपालन में खोले गए स्कूल
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी ने News 18 से बातचीत में कहा कि शासन के निर्देशों के तहत विद्यालयों में उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा. यदि कोई गैर-हाजिर मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने बताया कि अभी छात्रों के लिए स्कूल नहीं खोले गए हैं लेकिन ऑनलाइन शिक्षण और ई-पाठशाला संचालित रहेगी.

उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश व जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी के आदेश के अनुपालन में सभी राजकीय, परिषदीय व सहायता प्राप्त कक्षा 01 से 08 तक के सभी विद्यालय खुलेंगे. तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर निर्देशानुसार कार्य संपादित करेंगे. बच्चों की छुट्टी रहेगी, विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण व ई-पाठशाला संचालित रहेगी. इसके अलावा मिड-डे मील संबंधित कार्य भी संपादित होंगे जिसके अंतर्गत छात्रों के अभिभावक के खाते में कन्वर्जन मनी भेजा जाएगा.


थाना जफराबाद पुलिस ने अभियुक्त कन्हैया व शोभा को 22 किग्रा व 70 पुड़िया अपमिश्रित दोहरा के साथ किया गिरफ्तार

 


पुलिस अधीक्षक  जनपद जौनपुर  द्वारा अपराध एव अपराधियों के विरूद्ध चलाये गये अभियान के तहत  अपरपुलिसअधीक्षक नगर  के निर्देशन एवं क्षेत्रधिकारी  नगर व थानाध्यक्ष जफराबाद के कुशल पर्यवेक्षण मेंउ0नि0 वरूणेन्द्र कुमार राय चौकी प्रभारी जफराबाद द्वारा मुखविर की सूचना पर अभियुक्तगण कन्हैया लाल शुक्ला व शोभा शुक्ला पुत्रगण स्व0 राम सुलार शुक्ला नि0गण अहमदपुर थाना जफराबाद जौनपुरदिनांक 04/06/2020 को गिरफ्तार किया गया । जिसके पास से एक झोले में 70 पुड़िया व एक बोरे में 22 किग्रा अपमिश्रित दोहरा बरामद हुआ तथा थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 76/2020 धारा 272, 273 भा0द0वि0 एक्ट पंजीकृत किया गया तथा अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।


शुक्रवार, 5 जून 2020

संदिग्ध हालात में विवाहिता की मौत, पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर शुरू कर दी है तफ्तीश


सुलतानपुर : अखंडनगर थानाक्षेत्र के बिलवाई चौकी के रायपुर गांव में एक विवाहिता की मौत को सामान्य मौत घोषित करने के उद्देश्य से शव को गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार करने की कोशिश की गई। जानकारी मिलने पर श्मशान घाट पहुंची पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। रायपुर  गांव निवासी नीलम पत्नी इंद्रेश की बुधवार की रात संदिग्ध मौत हो गई। ससुरालजन गुरुवार की सुबह करीब सवा छह बजे गुपचुप रूप से गांव के प्राथमिक विद्यालय के बगल नदी किनारे उसका अंतिम संस्कार कर रहे थे। इसकी सूचना मृतका के पिता मनोज कुमार को दूरभाष पर किसी रिश्तेदार ने दी तो उन्होंने इसकी जानकारी डायल 112 पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी बेंचू सिंह यादव दल-बल के साथ श्मशान घाट पहुंच गए। अंतिम संस्कार को रुकवा कर उन्होंने अधजले शव को कब्जे में ले लिया। मृतका के पिता, मां रिसा देवी और बहन प्रिया दर्जनों लोगों मौके पर पहुंच गए। मृतका की मां के अनुसार नीलम ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ इंद्रेश गौतम से लगभग ढाई वर्ष पहले चुपके से शादी कर ली थी। दोनों का एक वर्ष का बेटा प्रियांश है। मृतका की बहन ने बताया कि दोनों में अक्सर झगड़ा हुआ करता था। थाने में दी गई शिकायत में पिता ने हत्या की आशंका व्यक्त की है। थाना प्रभारी ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का पता चल सकेगा। मामले की जांच की जा रही है।


सीएम योगी ने जन्मदिन पर पौधा लगाया , पीएम ने दी बधाई

विश्व पर्यावरण दिवस और जन्मदिन के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने आवास 5 कालिदास मार्ग पर पौधारोपण किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जन्मदिन की बाधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन कर जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान और मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई। उनके नेतृत्व में राज्य सभी क्षेत्रों में प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।  पीएम मोदी ने कहा कि राज्य के लोगों के जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि भगवान उन्हें लंबी आयु दें और स्वस्थ रखें। आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को हुआ था।


सीएम योगी ने दिया एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य


वहीं मुख्यमंत्री योगी ने एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य दिया है। जिसे जुलाई के प्रथम सप्ताह में पूरा किया जाएगा। इस अवसर पर आज गंगा यमुना के तटवर्ती किसानों को खेतों में वृक्षारोपण पर सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने जुलाई के प्रथम सप्ताह में 1 दिन में 25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। जबकि पूरे सीजन में 30 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। यह सभी फलदार छायादार और इमारती लकड़ी वाले पौधे होंगे। गंगा जमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में पौधरोपण का विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इसके तहत तटवर्ती किसान अपने खेतों में फलदार वृक्षों को लगाएंगे उसके लिए भी विशेष स्कीम होगी।


पिछले वर्ष एक दिन में लगाए थे 25 करोड़ पौधे 


इस स्कीम के तहत सरकार 3 साल तक सहयोग करेगी। जो लोग मेड़ पर बिना केमिकल, फर्टिलाइजर के पौधे लगाएंगे, उन्हें सरकार मुफ्त पौधे उपलब्ध कराएगी। बता दें कि पर्यावरण पर योगी आदित्यनाथ का विशेष ध्यान रहा है। पिछले वर्ष भी 25 करोड़ पौधे 1 दिन में लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया था। वहीं उससे पहले 22 करोड़ पौधे लगाए गए थे। उन्होंने लोगों से ज्यादा से ज्यादा पीपल, बरगद, पाकड़, देसी आम, सहजन आदि के पौधे लगाने की अपील की थी।


 


 


प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब मामले के मूल याचिकाकर्ताओं ने अदालत की सहायता करने के लिए हस्तक्षेप आवेदन दिया


पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने COVIDलॉकडाउन के बाद देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया था,जिसके बाद एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज और हर्ष मंदर के अलावा, आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व डीन जगदीप एस. छोकर ने इस मामले में न्यायालय की सहायता करने की अनुमति मांगी है। इस मामले में हस्तक्षेप करने के आवेदन दायर करते हुए मांग की गई है कि ''आवेदक उनके द्वारा दायर पूर्व में दायर की जनहित याचिकाओं को रिकॉर्ड पर रखकर इस मामले में अदालत की सहायता करना चाहते हैं। यह जनहित याचिकाएं ''देश में हुए व्यापक लाॅकडाउन के बाद प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के संबंध में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था चूंकि लाॅकडाउन के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी और जिसने पूरे देश में दहशत पैदा कर दी थी। वहीं इसके कारण एकदम से लाखों प्रवासी श्रमिकों की नौकरियां और रोजगार का साधना चला गया था।'' पहली याचिका भारद्वाज और मंडेर की ओर से दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह संयुक्त रूप से सभी प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी/न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करें। भले ही यह मजदूर किसी भी संस्थान, ठेकेदार या स्वरोजगार से जुड़े हों। चूंकि लाॅकडाउन के कारण वह काम करने और पैसा कमाने में असमर्थ हैं। दूसरी याचिका छोकर ने दायर की थी। जिसमें मांग की गई थी कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रवासी श्रमिक अपने गांवों व घरों में सुरक्षित पहुंच जाए। इसके उनसे परिवहन का किराया न लिया जाए और यात्रा के दौरान उनको पर्याप्त भोजन आदि उपलब्ध कराया जाए। यह भी बताया गया कि ''उपर्युक्त दोनों याचिकाओं का संक्षिप्त सुनवाई के बाद निस्तारण कर दिया गया था।'' यह भी कहा गया कि ''चूंकि इस माननीय न्यायालय ने अब प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया है। इसलिए आवेदक विनम्रतापूर्वक अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं। वह उन विभिन्न मुद्दों के संबंध में अदालत की सहायता करना चाहते है,जिनका सामना लाॅकडाउन शुरू होने के बाद से यह प्रवासी श्रमिक कर रहे हैं। आवेदक जिम्मेदार और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता व इस देश के शिक्षाविद हैं और लॉकडाउन के बाद से प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।'' 21 अप्रैल को शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि इस समय देश खुद असामान्य स्थिति में है और इसमें शामिल हितधारक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं। इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि COVID19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिक गंभीर तनाव में है,इसलिए उनको मजदूरी का भुगतान किया जाए। अदालत ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए संक्षेप में कहा था कि '' सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है और कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी तर्क दिया था कि जमीनी धरातल पर इन मुद्दों को निपटाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया गया है। वहीं जब भी कोई शिकायत प्राप्त होती है तो अधिकारी तुरंत उस मामले में सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे सामने रखी गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए हम प्रतिवादी-भारत सरकार को कह रहे हैं कि वह इस तरह के मामलों पर स्वयं विचार करें। वहीं याचिका में उठाए गए मुद्दों को निपटाने के लिए वह सभी कदम उठाए,जो उनको उपयुक्त लगते हैं।'' दूसरी जनहित याचिका के संबंध में अदालत ने एसजी की दलीलों को तरजीह देते हुए कहा था कि, ''इस याचिका में जो राहत मांगी गई है उसके लिए पर्याप्त रूप से मंजूरी दे दी गई है क्योंकि सरकार ने 29 अप्रैल 2020 को उन श्रमिकों की आवाजाही के मामले को स्वीकार कर लिया था,जो प्रवासी श्रमिक ,तीर्थयात्री, पर्यटक और छात्र हैं और विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा पा रहे थे।'' शीर्ष अदालत ने कहा था कि,"श्री तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि रिट याचिका दायर करने से पहले ही उस पर चिंतन चल रहा था और सरकार इस पर विचार कर रही थी। एसजी ने यह भी बताया था कि बाद में 01 मई 2020 को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रेलवे ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गांवों या राज्यों में पहुंचाने के लिए ''श्रमिक स्पेशल''ट्रेन चलाने का फैसला भी किया था। इसके बाद फंसे हुए व्यक्तियों की पूर्वोक्त श्रेणी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने इन फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की कठिनाई को कम करने के हर संभव कदम उठाए हैं।'' कोर्ट ने पांच मई को याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि "इस तरह के परिवहन के लिए आवश्यक तौर-तरीके रेलवे के सहयोग से संबंधित राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने हैं। जहां तक श्रमिकों से रेलवे टिकट की राशि का 15 प्रतिशत वसूलने की बात है तो उस संबंध में यह अदालत अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी आदेश जारी नहीं करेगी। यह संबंधित राज्य/रेलवे का काम है कि वह संबंधित दिशानिर्देशों के तहत आवश्यक कदम उठाए। इस रिट याचिका में मांगी गई राहत को पूरा कर दिया गया है। इसलिए हम मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के लिए वकील द्वारा उठाए जाने वाले अन्य मुद्दों पर विचार करके कोर्ट इस रिट याचिका के दायरे का विस्तार नहीं कर सकती हैं। ऐसे में अब इस याचिका को लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।'' न्यायालय ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्वत संज्ञान मामले में नोटिस जारी करते हुए 26 मई को कहा था कि ''अखबारों की रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट में लगातार यह बताया जा रहा है कि प्रवासी मजदूर लंबी-लंबी दूरी पैदल पूरी कर रहे हैं या साइकिल आदि से चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इन रिपोर्ट में इन मजदूरों की दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थिति दिखाई जा रही है। इतना ही नहीं आज भी प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं जारी हैं क्योंकि बहुत सारे श्रमिक सड़क,रेलवे स्टेशन,हाईवे या राज्यों की सीमाओं पर फंसे हुए हैं। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार बिना कोई पैसा वसूले तुरंत इनके लिए पर्याप्त परिवहन,भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें।'' इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों पर केंद्र सरकार से कई सवाल किए। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ''सबसे पहले व्यक्ति की अपनी जेब में पैसा होना चाहिए। किसी भी प्रवासी से कोई किराया नहीं लिया जाना चाहिए। इस किराए को वहन करने के लिए राज्यों के बीच कुछ व्यवस्था होनी चाहिए।'' पीठ ने पूछा, ''जिन लोगों को वापिस उनके घर भेजा जा रहा है क्या किसी भी स्तर पर उनसे परिवहन का किराया मांगा जा रहा है? एफसीआई के पास अतिरिक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध है, ऐसे में क्या इन लोगों को उस समय भोजन की आपूर्ति की जा रही है,जब यह अपने घर जाने के लिए अपनी बारी आने की प्रतिक्षा करते हैंै?'' पीठ ने यह भी पूछा कि ''प्रवासियों को उनके घर वापिस भेजने के लिए आपको कितने समय की जरूरत है? वही इन लोगों के लिए भोजन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या निगरानी तंत्र बनाया गया है?''



COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने वाली याचिका पर SC ने केंद्र से जवाब मांगा


सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका में केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें कोरोना के रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने और क्वारंटाइन व संक्रमण के बाद की सुविधाओं के लिए अस्पतालों में दाखिल के प्रयोजनों के लिए पारदर्शी तंत्र बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता अविषेक गोयनका ने अदालत को बताया कि निजी अस्पताल COVID रोगियों से अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं, जिससे यह अधिकांश रोगियों के लिए दुर्गम हो जाता है, जिससे अनुच्छेद 14 और 21 प्रभावित होते हैं।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर ऊपरी सीमा लगाने के लिए केंद्र की ओर प्रतिक्रिया दर्ज करें। कोर्ट ने एक सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अस्पतालों में दाखिले की मनमानी प्रक्रिया रोगियों के स्तर को आधार बनाती है और जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं वो अलग रखे जाते हैं।याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं हैं- • " उत्तरदाताओं और बीमा कंपनियों को तुरंत, पूर्ण दावों, जो कि सरकार द्वारा निर्दिष्ट दरों के अनुसार हैं, देने के लिए उचित रिट/ निर्देश जारी करें। • उत्तरदाताओं को मरीज की पसंद और सामर्थ्य के अनुसार, कोविद -19 संक्रमण के मामले में निजी अस्पतालों की सुविधा के तुरंत लाभ के लिए तंत्र तैयार करने और विज्ञापित करने के लिए उचित रिट / दिशा- निर्देश जारी करें, • उत्तरदाताओं को COVID- 19 क्वारंटाइन के लिए तुरंत निजी सुविधा प्राप्त करने के लिए तंत्र बनाने और विज्ञापन देने के लिए उचित रिट/ दिशा- निर्देश जारी करें" इस पृष्ठभूमि में, याचिका कई समाचार रिपोर्टों पर निर्भर है जो यह सुझाव देते हैं कि बीमा कंपनियों ने कई लोगों के बीमा दावों को रोक दिया है और काउंटरों पर उनके लिए कैशलेस सुविधाओं से इनकार कर रहे हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस मुश्किल समय में कई नागरिकों को परेशानी में पहुंचा दिया है। "ये असाधारण समय हैं और कई नागरिकों को बिना किसी आय के छोड़ दिया गया है। उनकी बचत को भी नुकसान हुआ है। यदि दाखिले के दौरान कैशलेस की सुविधा नहीं दी जाती है, तो पर्याप्त नकदी के बिना रोगियों को अधर छोड़ दिया जाएगा और उन्हें निजी अस्पतालों में प्रवेश से सुसज्जित होने के बावजूद घटिया सरकारी सुविधाएंलेने के लिए मजबूर किया जाएगा। इसी प्रकार यदि डिस्चार्ज के दौरान दावों का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है, तो रोगी को अस्पताल से छोड़ा नहीं जाएगा, जब तक कि रोगी परिवार, शेष राशि का भुगतान नहीं करता है। याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार के निजी अस्पतालों के लिए जो दरें तय करने का हवाला देते हुए कहा गया है कि केंद्र उक्त उद्देश्य के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाकर ऐसा कर सकता है। "सरकार को उन क्षेत्रों के लिए, जहां कोई नीति नहीं है, नीतियों को बनाने करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। क्योंकि एक नीति की अनुपस्थिति अराजकता और भ्रम को बढ़ाती है। केंद्र सरकार के परिपत्रों में ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जो नोडल विंडो की स्थापना का निर्देश देता हो जो पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार को निजी -क्वारंटाइन और / या अस्पताल की सुविधाओं के लिए निर्देशित कर सकते हैं। "





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