शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

बोलता कैमरा पूछता सवाल

कितना अजीब लगता है जब किसी सच्चाई को साबित करने के लिए किसी पीड़ित को कसम खानी पड़ती है फिर भी सरकारी तंत्र उसी का पक्ष लेते है जिसने गलत किया है और पीडित से यह कहा जाता है कि साबित करो कि यह व्यक्ति आपके साथ गलत किया है जबकि न्यायिक प्रकृया मे उस गलत व्यक्ति को साबित करने को कहा जाना चाहिए कि उसने गलत नही किया है। आखिर कब तक ऐसे पीड़ितो को न्याय मिलेगा?



Featured Post

घाटे बहुत हैं चाहतों के रोज़गार में

                        हीरालाल यादव "हीरा" पड़ता नहीं हूँ सोच के ये बात प्यार में I घाटे बहुत हैं चाहतों के रोज़गार में    ।।   ह...