उत्तर प्रदेश सरकार जितना पैसा गॉव को सुधारने मे विकास हेतु आवंटित कर रही है उस धन को ग्राम प्रधान ,खण्ड विकास अधिकारी ,ग्राम विकास अधिकारी व अन्य सहयोगी कर्मचारियो को मिला कर ग्राम विकास के धन से अपनी तिजोरी भरने मे लगे है,निम्न लिखित बातो से आकड़ा लगाया जा सकता है,कि सरकार द्वारा ग्राम विकास के लिए आवंटित किया गया वह धन किस तरह बंदरबाट किया जा रहा है।
स्कूलो की बनवाई-
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजकिय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के भवनो को बनवाने के लिए बड़े पैमाने पर धनरासी को ग्राम पंचायत के संयुक्त खाते मे भेजा जाता है, सरकार कि मंशा थी कि धनरासी सीधे ग्राम विकास के संयुक्त खाते मे देने से ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक व अन्य द्वारा सहूलियत के हिसाब से अच्छे ढंग से निर्माण कराएगे शायद इसीलिए सरकार ने किसी ठेकेदार को कोई ठेका नही दिया और धनराशि सीधे गॉव के संयक्त खाते मे भेज दिया।इतना ही नही इन विद्यालयो हेतु शौचालय , समरसेबुल ,पानी की टंकी की व्यवस्था के साथ-साथ ऑगनवाड़ी भवन के लिए भी मोटी रकम इस खाते मे आवंटित कि जाती है,जिसका ग्राम प्रधान भरपूर फायदा उठाता है,और ब्लाक कर्मचारियो को मिलाकर ज्यादा से ज्यादा धन अपनी तिजोरी भरने मे लगाते है।
स्टेशनरी एवं फर्नीचर-
सरकार हर ग्राम सभा के लिए फर्नीचर एवं स्टेशनरी के लिए कुछ धनरासी आवंटित करती है जिसमे प्रधानो द्वारा सिर्फ स्टेशनरी के नाम पर 8से 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष का व्यय दिखाया गया है।बड़े ताज्जूब कि बात यह है कि यदि कोई सूचना कार्यकर्ता इन प्रधानो से वही कार्यवाही हेतु लिया गया रजिस्टर निरिक्षण हेतु मॉग ले तो इन प्रधानो पास कोई रजिस्टर नही मिलता खासकर वह सारी स्टेशनरी जिन सबको मिलाकर जिनकी किमत 8 से 10 हजार रूपये बताई जाती है।
हैण्डपाइप रिबोर एवं मरम्मत -
सरकार ग्राम सभा मे लगी सारी हैण्डपाइप मे मरम्मत एवं निष्कृय हैण्डपाइप को रिबोर करने का जिम्मा ग्राम प्रधान को दे दिया है,यह योजना ग्राम प्रधान एवं ब्लाक कर्मचारियो के लिए मानो मुह मॉगी मुराद मिल गयी है,शायद यही कारण है कि ग्राम प्रधानो द्वारा गॉव के उन हैण्डपाइपो को भी कागज पर रिबोर एवं मरम्मत कर दिया जाता है जिसका कोई अता-पता नही, इतना ही नही रिबोर के नाम पर उतनी धनराशि निकाली जाती है जितने मे एक प्राइवेट हैण्डपाइप लगने के बाद भी पैसा बचेगा ,और सौ-दो सौ ,रूपये कि मरम्मत करके हजारो रूपये का बिल बनता है। यह आकड़े से अनुमान लगाया जा सकता है कि ग्राम सभा के ग्राम प्रधानो द्वारा ग्राम विकास हेतु आवंटित धन को किस तरह लूट कर तिजोरियॉ भरी जाती है।
प्रस्तुत कर्ता- दीपचंद यादव