शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

लॉक डाउन में साफ नजर आने लगी गोमती नदी

लॉक डाउन (Lockdown) के दौरान जहां एक तरफ लोगों के सामने समस्याओं का अंबार है. लोगों को बहुत सारी दिक्कतें हैं. इन सबके बीच कुछ अच्छी खबरें भी हैं. लॉक डाउन के चलते पूरा देश थमा हुआ है. शहरों में आवाजाही रुकी है. फैक्ट्रियों सहित तमाम उद्योग बंद हैं. लोगों की आवाजाही ना होने से वातावरण और पर्यावरण साफ हो गया है. लखनऊ (Lucknow) की आबोहवा साफ हो गई है. शहर लखनऊ की लाइफलाइन गोमती नदी (Gomti River) भी साफ दिखने लगी है.पहले जिस गोमती के पानी को छूने लायक नहीं समझा जाता था. जहां गोमती किनारे टहलने से भी बीमारी का डर लगा रहता था. उस गोमती का पानी अब साफ नजर आने लगा है. पर्यावरणविद और पिछले कई सालों से गोमती की साफ-सफाई का जिम्मा उठाए रिद्धि गौड़ कहते हैं कि जो काम हम लोग पिछले 15 बरस में नहीं कर पाए वह करोना ने महज 1 महीने में कर दिखाया.


रिद्धि कहते हैं कि नदी अब साफ दिखने लगी है. लॉक डाउन के दौरान नवरात्र पड़े लिहाजा गोमती में किसी भी तरह का विसर्जन नहीं हुआ. कारोबार बंद है. लिहाजा नदी किनारे कपड़ों की धुलाई भी नहीं हो रही. इससे पानी साफ है. इसके अलावा बहुत सारी फैक्ट्रियां बंद हैं और उनसे निकलने वाली गंदगी भी बंद है इसलिए गोमती साफ-साफ नजर आती है. उन्होंने कहा कि यह मौका है कि लोग इस साफ सफाई का ध्यान रखें और अपनी गोमती को इसी तरह हमेशा साफ-सुथरा बनाए रखें.


प्रयागराज में गंगा और यमुना भी हो रहीं निर्मल


उधर प्रयागराज में भी गंगा समेत देश की दूसरी नदियों का जल पहले से काफी स्वच्छ और अविरल हो गया है. इसकी वास्तविक वजह है कि कल कारखानों के बंद हो जाने से इन दिनों गंगा नदी में गंदा पानी नहीं प्रवाहित हो रहा है. खास तौर पर गंगोत्री से निकलने वाली गंगा नदी कानपुर की टेनरियों की वजह से सबसे ज्यादा दूषित होती थी. लेकिन लॉक डाउन में कानपुर में भी उद्योगों के ठप हो जाने से गंगा का पानी पहले से कई गुना साफ नजर आने लगा है.


उत्साहित अखाड़ा परिषद सरकारों से करेगा ये मांग


साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी भी मानते हैं कि लॉक डाउन में गंगा पहले ज्यादा अविरल और निर्मल हुई है. उन्होंने कहा है कि गंगा और यमुना नदियों में गर्मी की वजह से पानी जरूर कुछ कम हुआ है. लेकिन इसका यही स्वरूप बरकरार रहे, इसके लिए वे केन्द्र और प्रदेश सरकारों से मांग करेंगे कि गंगा के किनारे लगे कल-कारखानों का पानी गंगा में न छोड़ा जाए.


पर्यावरणविद भी लॉक डाउन को बता रहे नदियों के सेहत के लिए उचित


सेवानिवृत्त रक्षा वैज्ञानिक और पर्यावरण के जानकार डॉ मोहम्मद आरिफ मानते हैं कि मानव में वो ताकत ही नहीं है कि वह प्रकृति को ठीक कर सके. उनके मुताबिक प्रकृति अपना बैलेंस खुद करती है. इसलिए जहां नमामि गंगे जैसे योजनायें करोड़ों रुपये खर्च करके जो काम अब तक नहीं कर सकीं, वो काम कोरोना महामारी के दौरान इस लॉक डाउन ने पूरा कर दिया है. उनके मुताबिक गंगा और यमुना पवित्र नदियों में जल की स्वच्छता से लोगों के बीच भी अच्छा संदेश जाएगा.


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