केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा है कि रैपिड टेस्ट किट से मिलने वाले परिणामों में बहुत अंतर आने के कारण ही अभी इसके प्रयोग पर पाबंदी लगाई गई है। इसका प्रयोग सर्वेलेंस जाँच के लिए किया जा सकता है और वीआरडीएल (वायरल रीसर्च एंड डाइयग्नास्टिक लैबोरेटरी) केंद्र अभी इसका प्रयोग नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति एनडब्ल्यू सम्ब्रे कोरोना वायरस से लड़ने के बारे में विभिन्न मदों में अदालत के निर्देशों के लिए दायर की गई कई याचिकाओं के साथ टैग की गई सीएच शर्मा की याचिका और सुभाष जंवर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इससे पहले 20 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई में अदालत ने आईसीएमआर और राज्य सरकार से यह बताने को कहा था कि वीआरडीएल सुविधाएँ यवतमाल, चंद्रपुर, गढ़चिरौली और गोंदिया के सरकारी अस्पतालों में कब तक उपलब्ध हो जाएँगी। अदालत को बताया गया कि चंद्रपुर और यवतमाल में वीआरडीएल लैब 20 मई तक शुरू हो जाएगा। वीआरडीएल जाँच यानी आरटी-पीसीआर मशीन हाफ़्फ़क़ीन इंस्टिच्यूट उपलब्ध करा रहा है जो इसकी ख़रीद सिंगापुर से करता है और इसकी शिपमेंट में देरी हुई है। इसी वजह से ये लैब अभी शुरू नहीं हो पाए हैं। अदालत ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे आरटी-पीसीआर मशीनों की डिलीवरी जल्द लेने का प्रयास करें। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट में रक्त के नमूने का प्रयोग होता है जबकि आरटी-पीसीआर मशीन से होनेवाली जाँच में नाक या अगले से लिए गए स्वाब का प्रयोग होता है। अदालत ने नागपुर के संभागीय आयुक्त को हर लैब में लंबित नमूनों की संख्या का पता लगाने को कहा और इनकी जाँच उन लैब्ज़ से कराने को कहा जहाँ लैब की पूरी क्षमता का प्रयोग नहीं हो पा रहा है या जहां कम जाँच लंबित हैं। एमिकस क्यूरी अरुण गिल्डा ने पीठ को बताया कि नीरी (एनईईआरआई), नागपुर में आरटी-पीसीआर मशीन उपलब्ध है और एमएएफएसयू में भी अतिरिक्त मशीनें हैं। न्यायमूर्ति सम्ब्रे ने कहा कि संभागीय आयुक्त एम्स, नागपुर के चिकित्सा अधीक्षक के परामर्श से आरटी-पीसीआर मशीन के प्रयोग के मामले में उचित निर्णय लेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह की जाँच व्यवस्था निजी मेडिकल कॉलेजों में भी उपलब्ध कराई जा सकती है बशर्ते कि वहाँ के स्टाफ़ को इस बारे में उचित प्रशिक्षण दिया जाए। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार को निजी मेडिकल कॉलेजों के वीआरडीएल केंद्रों को मान्यता देने की प्रक्रिया को तेज करनी चाहिए ताकि वहाँ भी जाँच शुरू की जा सके। भारत सरकार के एसएसजी यूएम औरंगबादकर ने अदालत से कहा कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के एक हिस्से की ख़रीद केंद्र सरकार के स्तर पर पूरी हो चुकी है हालाँकि इसके प्रयोग पर रोक लगा दी गई है क्योंकि जाँच के परिणाम भ्रामक आ रहे थे।
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शनिवार, 25 अप्रैल 2020
सैंपल जाँच के परिणामों में विविधता के कारण रैपिड ऐंटीबॉडी टेस्ट किट के प्रयोग पर लगाई गई है पाबंदी
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