मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन पर पुलिस कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया करे कोई और भरे कोई : ऐसा नहीं हो सकता,

चंडीगढ़, संजय कुमार मिश्रा


एक कहावत है, करे कोई और भरे कोई, पर अब ऐसा नहीं होगा...व्हाट्सएप ग्रुप के अन्य मेम्बर्स की गलतियों की सजा ग्रुप एडमिन को नहीं दी जा सकती, ऐसा कहना है पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का।


हाईकोर्ट ने यह प्रक्रिया कोविद 19 की महामारी के दौर में सोशल मीडिया पर किसी भी गलत एवं भ्रामक खबर पर व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के एक मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा संबंधित ड्यूटी मजिस्ट्रेट को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते वक्त अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ पुलिस की रिपोर्ट पर किसी के भी खिलाफ वारंट जारी नहीं किया जाए। वारंट किसी कानूनी बाधा को दूर करने के लिए ही किया जाना चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, पुलिस को अपने रिपोर्ट में उन सभी कारकों का उल्लेख करना चाहिए जिसके बिना पर वो आरोपी के खिलाफ वारंट जारी किए जाने को लेकर पूर्ण रूप से संतुष्ट है।


भारतीय दंडावली  (आईपीसी) की धारा 505 पर कोर्ट ने कहा कि पब्लिक में भ्रांति फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप जिसे एडमिन ने बनाया और अन्य मेंबर को इस प्लेटफॉर्म पर जोड़ा, वो उस अन्य मेंबर के पोस्ट के लिए जिम्मेवार कैसे हो सकता है ? खासकर तब जबकि सभी मेंबर्स के पोस्ट एडमिन की इजाजत के मोहताज नहीं होते, हां अगर ग्रुप का स्टेटस - सिर्फ एडमिन है तो ऐसे सूरत में किसी भी मेंबर्स का पोस्ट एडमिन की अनुमति के बगैर पोस्ट नहीं होता और ऐसी कोई पोस्ट अगर गलत और भ्रामक है, तो एडमिन को जिम्मेवार माना जा सकता है। लेकिन अन्य मेंबर के गलत पोस्ट पर एडमिन पर कार्रवाई से एडमिन की व्यक्तिगत आजादी जो कि उसका एक संवैधानिक अधिकार है, कुंठित होती है ।कोर्ट ने कहा, कथनी, करनी एवं भाव सभी को हमेशा सामने रखकर फैसला लेना चाहिए कि क्या वास्तव में ग्रुप एडमिन किसी आपराधिक मामला दर्ज करने योग्य है ? क्योंकि न्याय व्यवस्था में उचित अनुचित को देखने के सिद्धांत की परंपरा है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता।


आशीष भल्ला बनाम सुरेश चौधरी एवं अन्य में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोर्ट ने व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन की जिम्मेवारियां तय कर दी गई है, उससे परे जाकर ग्रुप एडमिन के खिलाफ पुलिस की ओर से वारंट का आवेदन देना सही नहीं होगा। जब एडमिन किसी मेंबर को ग्रुप के प्लेटफॉर्म से जोड़ता है तो वह उस मेंबर से उम्मीद करता है की वो कोई भी गलत खबर या भ्रांति फैलाने वाला पोस्ट नहीं डालेगा, मतलब एडमिन का भाव बिल्कुल साफ होता है जो कि आईपीसी की धारा 505 में कवर नहीं होता। आईपीसी 505 में साफ कहा गया है कि "व्यक्ति जो किसी गलत भाववश के वशीभूत होकर कोई गलत या भ्रांतिपूर्ण पोस्ट जानबूझकर करता है तो"आशीष भल्ला बनाम सुरेश चौधरी एवं अन्य में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोर्ट ने व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन की जिम्मेवारियां तय कर दी गई है, उससे परे जाकर ग्रुप एडमिन के खिलाफ पुलिस की ओर से वारंट का आवेदन देना सही नहीं होगा। जब एडमिन किसी मेंबर को ग्रुप के प्लेटफॉर्म से जोड़ता है तो वह उस मेंबर से उम्मीद करता है की वो कोई भी गलत खबर या भ्रांति फैलाने वाला पोस्ट नहीं डालेगा, मतलब एडमिन का भाव बिल्कुल साफ होता है जो कि आईपीसी की धारा 505 में कवर नहीं होता। आईपीसी 505 में साफ कहा गया है कि "व्यक्ति जो किसी गलत भाववश के वशीभूत होकर कोई गलत या भ्रांतिपूर्ण पोस्ट जानबूझकर करता है तो"


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