रविवार, 10 मई 2020

उत्तर पूर्व के लोगों की सुरक्षा करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, याचिका का किया निपटारा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार के आश्वासन के बाद उस याचिका का निपटारा कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने कहा है कि वह इस स्थिति का ध्यान रखेगी। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने जस्टिस अशोक भूषण,जस्टिस एस.के कौल और जस्टिस बी.आर गवई की पीठ के समक्ष बताया कि लॉकडाउन के दौरान किस तरह उत्तर-पूर्व के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे चिंताजनक मुद्दा यह है कि इनमें से कई को उनके कमरे खाली करने के लिए कह दिया गया है,



ऐसे में अब वह कहां जाएं। याचिका में दिए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने मामले में उठाई शिकायत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि याचिका में कहा गया है कि उत्तर-पूर्वी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अन्य लोग उन्हें गलती से चीनी समझ रहे हैं। सरकार की तरफ से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को सूचित किया कि ऐसी शिकायतों का निवारण करने के लिए विशेष रूप से हेल्पलाइन बनाई गई है। इस पर गोंसाल्वेस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा कि ''वे सभी हेल्पलाइन डेडपड़ी हैं।'' न्यायमूर्ति कौल ने यह टिप्पणी की कि ''लोगों में जागरूकता लाई जानी चाहिए। जब लोग लॉक होते हैं, तो कुछ ऐसी कठिनाइयां पैदा होती हैं। हालांकि इस दिशा में कुछ करने की जरूरत है।'' उन्होंंने कहा कि लॉकडाउन आवश्यक है, परंतु यह कुछ कठिनाइयों के साथ आता है। पीठ ने सुझाव देते हुए कहा कि लोगों के बीच अधिक जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है ताकि वे किसी के साथ गलत व्यवहार न करें। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी और इस दिशा में कदम उठाएगी। इस आश्वासन के बाद खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा और मामले का निपटारा कर दिया। जस्टिस भूषण ने अंत में निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि- ''एसजी ने हमें आवश्वासन दिया है कि वह याचिका में उल्लिखित सभी बिंदुओं का ध्यान रखेंगे, इसलिए हम याचिका का निपटारा करते हैं।''


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