शुक्रवार, 22 मई 2020

वर्चुअल कोर्ट से न्याय पाने में असमर्थ हैं मुविक्कल'': बार काउंसिल ऑफ इंडिया करेगी अदालतों में नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने पर परामर्श

मुविक्कलों को वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह कहते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने बुधवार को निर्णय किया है कि वह सभी अदालतों में नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के मामले में परामर्श करने लिए देशभर के वकीलों और वादकारियों से बातचीत करेगी। बीसीआई की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि ''वह (बीसीआई) न्यायालयों में नियमित सुनवाई को फिर से शुरू करने के बारे में सबकी राय जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वरिष्ठ और अन्य अधिवक्ताओं से परामर्श करेगी। एक तरफ COVID 19 के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वादियों और अधिवक्ताओं की समस्याएं बढ़ रही हैं।''   20 मई को हुई अपनी बैठक में बीसीआई की जनरल काउंसिल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पास किया है। इस मामले में स्टेट बार काउंसिल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ,सभी हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अन्य अधिवक्ताओं की राय मांगी जाएगी। बीसीआई का कहना है कि कुछ हाईकोर्ट में तत्काल मामलों को लेकर 'पिक एंड चूज' की नीति अपनाने संबंधी शिकायतें उनके पास आ रही हैं। वहीं असंतोषजनक वाई-फाई कनेक्शन और अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की जा रही सुनवाई में भी लगाकर समस्याएं आ रही है। इस संबंध में भी उनको कई शिकायत मिली हैं।  बीसीआई ने कहा कि ''हम इस प्रक्रिया में प्रभावी सुनवाई की उम्मीद नहीं कर सकते है। वास्तव में देश के विभिन्न न्यायालयों में क्या चल रहा है, जनता और अधिवक्ता उसके बारे में अनभिज्ञ हैं।'' बीसीआई ने कई बार एसोसिएशन और वरिष्ठ अधिवक्ताओं की राय भी साझा की है, जिनके जरिए उनको पता चला है कि ''कुछ लोग लॉकडाउन (लगभग बंद पड़ी अदालतों का ) का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। हाई-प्रोफाइल संबंध रखने वाले कुछ वकील और लाॅ-फर्म कानूनी पेशे को धीरे-धीरे हाईजैक करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरी प्रणाली आम अधिवक्ताओं के हाथ से बाहर जा रही है। परिषद ने कहा कि वह पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ अदालतों में नियमित सुनवाई या शारीरिक कामकाज को फिर से शुरू करने के मामले में सुझाव एकत्रित करने के लिए स्टेट बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के माध्यम से एक जनमत सर्वेक्षण आयोजित करने जा रही है। परिषद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह किया है कि वह वास्तविक कठिनाइयों पर ध्यान दें। बीसीआई ने कहा कि "यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जा रहा है कि बार से परामर्श किए बिना और बार को विश्वास में लिए बिना, यदि कोई निर्णय लिया जाता है तो वह सफल नहीं हो पाएगा।'' बीसीआई ने कहा कि उन्होंने यह भी प्रस्ताव पास किया है कि वह प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों से अनुरोध करेंगे कि वे ''जरूरतमंद वकीलों की सहायता करें और उनके पेशेवर नुकसान को दूर करने में उनकी मदद करें।'' ''इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, स्टेट बार काउंसिल और देश के बार एसोसिएशन अपनी क्षमता के अनुसार इस तरह के जरूरतमंद अधिवक्ताओं की मदद करते रहे हैं। हालांकि, इन संगठनों के संसाधन सीमित हैं।'' उन्होंने कहा कि ''इसलिए जब तक सरकार उनके बचाव में नहीं आती है, तब तक उनकी समस्याओें का समाधान नहीं होने वाला है। देश के सभी बार एसोसिएशनों को एक प्रस्ताव पारित करके स्थानीय सांसद, विधायकों और जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों को भेजना चाहिए।'' बीसीआई ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश और सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से संपर्क करके उनसे यह आग्रह किया जाएगा कि वह वकीलों की उन समस्याओं पर विचार करें,जिनका सामना वकील अदालतों में मामलों की सुनवाई के दौरान वास्तव में कर रहे हैं। उन्होंने यह भी निर्णय किया है कि वह सीजेआई एसए बोबड़े और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ से भी अनुरोध करेंगे कि वे संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दें कि ''वर्चुअल सुनवाई के समय उन सभी अधिवक्ताओं को लिंक प्रदान करें ,जो मामले से संबंधित हैं या जो वरिष्ठ अधिवक्ता की सहायता कर रहे हैं या सुनवाई में भाग ले रहे हैं।''



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