शनिवार, 6 जून 2020

अब मोबाइल करेगा मरीजों की हेल्प

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में बढ़ते कोरोना इंफेक्शन पर स्वास्थ्य विभाग अब चौकन्ना हो गया है. इसके लिए एक नई व्यवस्था तैयार की जा रही है. अब एक क्लीक में मरीज़ को उसके जरूरत का अस्पताल मिल जाएगा. अब शहर के हर अस्पताल की स्वास्थ्य विभाग (Helath Department) मैपिंग कर रहा है ताकि लोगों को इनके घर के पास ही मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो सके. सही समय पर सही इलाज लोगों को मिले और इसके लिए इन्हें ज्यादा दूर भी ना जाना पड़े इस मकसद के साथ स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है. इसके तहत अब लोगों को मेडिकल संबंधित जानकारी उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो सके, ऐसी कोशिश की जा रही है.

बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण मरीज अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. हर छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर मरीज इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं. घर के बाहर निकलने में भी बच्चों और बुजुर्गों के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को डर सता रहा है. आने वाले महीनों में सरकार यूं ही ज्यादा सतर्कता बरतने की लगातार अपील कर रही है. इस बात को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य विभाग अब नई स्ट्रेटरजी पर काम कर रहा है.



अफसर कर रहे केन्द्रों की जांच

विभाग का प्लान है कि शहर की घनी आबादी में संचालित हो रहे छोटे-अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरूस्त की जाए. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि विभाग के अधिकारी यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक का निरीक्षण कर रहे हैं. यहां के वर्किंग प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी बटोर रहे हैं. इस नई व्यवस्था के जरिए लोगों को नजदीकी फीवर क्लीनिक की जानकारी उनके मोबाइल पर ही उपलब्ध हो सकेगी. स्वास्थ्य विभाग के अफसर कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार काम कर रहे हैं. अफसरों का ध्यान इस ओर भी है कि बारिश के मौसम में बीमारी किसी भी हाल में ज्यादा बढ़ने ना पाए. इसके लिए लोग शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक में जाकर सामान्य उपचार, टीकाकरण परिवार कल्याण जैसी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.
ऐसे होगी मैपिंग
शहर के यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक के हर एक मरीज की समस्या को हल करने की विभाग रणनीती बना रहा है. इन संस्थाओं में ये देखा जा रहा है कि यहां फीवर क्लीनिक के लिए जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार काम हो रहा है या नहीं. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के मुताबिक अब बारिश शुरू होने के बाद मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ेंगे. ऐसे में शहर के लोगों की पहली प्राथमिकता ये होगी की घर के नजदीक वाले अस्पतालों में इलाज मुहैया हो जाए ना की हर मामूली बीमारी के लिए सीधे बड़े सरकारी अस्पतालों की तरफ भागना पड़े. मरीजों की सुविधा के लिए विभाग चौकन्ना होकर तमाम व्यवस्थाएं करने में जुटा है. भोपाल सहित प्रदेश भर में संचालित सरकारी अस्पतालों की ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम मैपिंग का काम पिछले साल मैप आईटी ने शुरू किया था, लेकिन बीच में ही ये काम कुछ कारणों से बंद हो गया था. अब कोरोना संकटकाल में आम लोगों को घर के नजदीकी स्वास्थ्य संस्थाओं की जानकारी मोबाइल पर मिल सकेगी. विभाग गूगल के जरिए मैपिंग करने में लगा है.


किसानों की सब्जियों को सरकारी गाड़ी से रौंदने वाला दारोगा सस्पेंड

प्रयागराज. जिले के घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल होने का सीएम योगी (CM Yogi) ने संज्ञान लेते हुए उसे सस्पेंड (suspend) करने के निर्देश दिए जिसके तुरंत बाद एसएसपी प्रयागराज (SSP Prayagraj) ने दारोगा को सस्पेंड करते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने की भी संस्तुति कर दी है. बता दें कि दारोगा सुमित आनन्द द्वारा घूरपुर की साप्ताहिक सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन न होने पर सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंदे दिया गया था. मामले को संदेनशीलता से लेते हुए सीएम योगी ने दारोगा को तत्काल सस्पेंड करने और पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था.



किसानों को नुकसान की भरपाई करवाई गई


सीएम योगी के संज्ञान लेने के बाद एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दारोगा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ एसएसपी ने सीओ को मौके पर भेजकर किसानों को उनके नुकसान की भरपाई भी करायी है. फिलहाल 11 किसानों को मौके पर जाकर सीओ ने क्षतिपूर्ति दे दी है. इसके साथ अन्य किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जिन्हें उनके नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया जायेगा. एसएसपी ने दारोगा के कृत्य को गम्भीर मानते हुए हुए विभागीय कार्रवाई के भी आदेश दे दिए हैं. इसके साथ ही जनपदीय शाखा में दारोगा को न रखे जाने की भी एसएसपी की ओर से संस्तुति उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है. एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध ने बताया कि दारोगा के वेतन से किसानों को हुए नुकसान की रिकवरी भी की जाएगी. दरअसल बुधवार और शुक्रवार के दिन ही घूरपुर में साप्ताहिक सब्जी मंडी लगनी तय थी.


शनिवार से खुलेंगे सभी सरकारी स्कूल, स्टूडेंट्स की रहेगी छुट्टी

मऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अब अनलॉक (Unlock 1.0) होना शुरू हो चुका है. ऑफिस, दुकाने उद्योग इत्यादि खोले जाने के बाद अब शनिवार से सभी सरकारी स्कूल-कॉलेज भी खोलने के आदेश दे दिए गए हैं. जिला बेसिक शिक्षा विभाग (District Basic Education Department) के निर्देशानुसार तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर कार्य संपादित करेंगे. जबकि बच्चों की छुट्टी रहेगी और विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा.
शासन के निर्देशों के अनुपालन में खोले गए स्कूल
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी ने News 18 से बातचीत में कहा कि शासन के निर्देशों के तहत विद्यालयों में उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा. यदि कोई गैर-हाजिर मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने बताया कि अभी छात्रों के लिए स्कूल नहीं खोले गए हैं लेकिन ऑनलाइन शिक्षण और ई-पाठशाला संचालित रहेगी.

उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश व जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी के आदेश के अनुपालन में सभी राजकीय, परिषदीय व सहायता प्राप्त कक्षा 01 से 08 तक के सभी विद्यालय खुलेंगे. तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर निर्देशानुसार कार्य संपादित करेंगे. बच्चों की छुट्टी रहेगी, विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण व ई-पाठशाला संचालित रहेगी. इसके अलावा मिड-डे मील संबंधित कार्य भी संपादित होंगे जिसके अंतर्गत छात्रों के अभिभावक के खाते में कन्वर्जन मनी भेजा जाएगा.


थाना जफराबाद पुलिस ने अभियुक्त कन्हैया व शोभा को 22 किग्रा व 70 पुड़िया अपमिश्रित दोहरा के साथ किया गिरफ्तार

 


पुलिस अधीक्षक  जनपद जौनपुर  द्वारा अपराध एव अपराधियों के विरूद्ध चलाये गये अभियान के तहत  अपरपुलिसअधीक्षक नगर  के निर्देशन एवं क्षेत्रधिकारी  नगर व थानाध्यक्ष जफराबाद के कुशल पर्यवेक्षण मेंउ0नि0 वरूणेन्द्र कुमार राय चौकी प्रभारी जफराबाद द्वारा मुखविर की सूचना पर अभियुक्तगण कन्हैया लाल शुक्ला व शोभा शुक्ला पुत्रगण स्व0 राम सुलार शुक्ला नि0गण अहमदपुर थाना जफराबाद जौनपुरदिनांक 04/06/2020 को गिरफ्तार किया गया । जिसके पास से एक झोले में 70 पुड़िया व एक बोरे में 22 किग्रा अपमिश्रित दोहरा बरामद हुआ तथा थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 76/2020 धारा 272, 273 भा0द0वि0 एक्ट पंजीकृत किया गया तथा अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।


शुक्रवार, 5 जून 2020

संदिग्ध हालात में विवाहिता की मौत, पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर शुरू कर दी है तफ्तीश


सुलतानपुर : अखंडनगर थानाक्षेत्र के बिलवाई चौकी के रायपुर गांव में एक विवाहिता की मौत को सामान्य मौत घोषित करने के उद्देश्य से शव को गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार करने की कोशिश की गई। जानकारी मिलने पर श्मशान घाट पहुंची पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। रायपुर  गांव निवासी नीलम पत्नी इंद्रेश की बुधवार की रात संदिग्ध मौत हो गई। ससुरालजन गुरुवार की सुबह करीब सवा छह बजे गुपचुप रूप से गांव के प्राथमिक विद्यालय के बगल नदी किनारे उसका अंतिम संस्कार कर रहे थे। इसकी सूचना मृतका के पिता मनोज कुमार को दूरभाष पर किसी रिश्तेदार ने दी तो उन्होंने इसकी जानकारी डायल 112 पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी बेंचू सिंह यादव दल-बल के साथ श्मशान घाट पहुंच गए। अंतिम संस्कार को रुकवा कर उन्होंने अधजले शव को कब्जे में ले लिया। मृतका के पिता, मां रिसा देवी और बहन प्रिया दर्जनों लोगों मौके पर पहुंच गए। मृतका की मां के अनुसार नीलम ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ इंद्रेश गौतम से लगभग ढाई वर्ष पहले चुपके से शादी कर ली थी। दोनों का एक वर्ष का बेटा प्रियांश है। मृतका की बहन ने बताया कि दोनों में अक्सर झगड़ा हुआ करता था। थाने में दी गई शिकायत में पिता ने हत्या की आशंका व्यक्त की है। थाना प्रभारी ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का पता चल सकेगा। मामले की जांच की जा रही है।


सीएम योगी ने जन्मदिन पर पौधा लगाया , पीएम ने दी बधाई

विश्व पर्यावरण दिवस और जन्मदिन के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने आवास 5 कालिदास मार्ग पर पौधारोपण किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जन्मदिन की बाधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन कर जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान और मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई। उनके नेतृत्व में राज्य सभी क्षेत्रों में प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।  पीएम मोदी ने कहा कि राज्य के लोगों के जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि भगवान उन्हें लंबी आयु दें और स्वस्थ रखें। आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को हुआ था।


सीएम योगी ने दिया एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य


वहीं मुख्यमंत्री योगी ने एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य दिया है। जिसे जुलाई के प्रथम सप्ताह में पूरा किया जाएगा। इस अवसर पर आज गंगा यमुना के तटवर्ती किसानों को खेतों में वृक्षारोपण पर सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने जुलाई के प्रथम सप्ताह में 1 दिन में 25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। जबकि पूरे सीजन में 30 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। यह सभी फलदार छायादार और इमारती लकड़ी वाले पौधे होंगे। गंगा जमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में पौधरोपण का विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इसके तहत तटवर्ती किसान अपने खेतों में फलदार वृक्षों को लगाएंगे उसके लिए भी विशेष स्कीम होगी।


पिछले वर्ष एक दिन में लगाए थे 25 करोड़ पौधे 


इस स्कीम के तहत सरकार 3 साल तक सहयोग करेगी। जो लोग मेड़ पर बिना केमिकल, फर्टिलाइजर के पौधे लगाएंगे, उन्हें सरकार मुफ्त पौधे उपलब्ध कराएगी। बता दें कि पर्यावरण पर योगी आदित्यनाथ का विशेष ध्यान रहा है। पिछले वर्ष भी 25 करोड़ पौधे 1 दिन में लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया था। वहीं उससे पहले 22 करोड़ पौधे लगाए गए थे। उन्होंने लोगों से ज्यादा से ज्यादा पीपल, बरगद, पाकड़, देसी आम, सहजन आदि के पौधे लगाने की अपील की थी।


 


 


प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब मामले के मूल याचिकाकर्ताओं ने अदालत की सहायता करने के लिए हस्तक्षेप आवेदन दिया


पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने COVIDलॉकडाउन के बाद देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया था,जिसके बाद एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज और हर्ष मंदर के अलावा, आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व डीन जगदीप एस. छोकर ने इस मामले में न्यायालय की सहायता करने की अनुमति मांगी है। इस मामले में हस्तक्षेप करने के आवेदन दायर करते हुए मांग की गई है कि ''आवेदक उनके द्वारा दायर पूर्व में दायर की जनहित याचिकाओं को रिकॉर्ड पर रखकर इस मामले में अदालत की सहायता करना चाहते हैं। यह जनहित याचिकाएं ''देश में हुए व्यापक लाॅकडाउन के बाद प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के संबंध में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था चूंकि लाॅकडाउन के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी और जिसने पूरे देश में दहशत पैदा कर दी थी। वहीं इसके कारण एकदम से लाखों प्रवासी श्रमिकों की नौकरियां और रोजगार का साधना चला गया था।'' पहली याचिका भारद्वाज और मंडेर की ओर से दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह संयुक्त रूप से सभी प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी/न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करें। भले ही यह मजदूर किसी भी संस्थान, ठेकेदार या स्वरोजगार से जुड़े हों। चूंकि लाॅकडाउन के कारण वह काम करने और पैसा कमाने में असमर्थ हैं। दूसरी याचिका छोकर ने दायर की थी। जिसमें मांग की गई थी कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रवासी श्रमिक अपने गांवों व घरों में सुरक्षित पहुंच जाए। इसके उनसे परिवहन का किराया न लिया जाए और यात्रा के दौरान उनको पर्याप्त भोजन आदि उपलब्ध कराया जाए। यह भी बताया गया कि ''उपर्युक्त दोनों याचिकाओं का संक्षिप्त सुनवाई के बाद निस्तारण कर दिया गया था।'' यह भी कहा गया कि ''चूंकि इस माननीय न्यायालय ने अब प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया है। इसलिए आवेदक विनम्रतापूर्वक अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं। वह उन विभिन्न मुद्दों के संबंध में अदालत की सहायता करना चाहते है,जिनका सामना लाॅकडाउन शुरू होने के बाद से यह प्रवासी श्रमिक कर रहे हैं। आवेदक जिम्मेदार और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता व इस देश के शिक्षाविद हैं और लॉकडाउन के बाद से प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।'' 21 अप्रैल को शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि इस समय देश खुद असामान्य स्थिति में है और इसमें शामिल हितधारक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं। इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि COVID19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिक गंभीर तनाव में है,इसलिए उनको मजदूरी का भुगतान किया जाए। अदालत ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए संक्षेप में कहा था कि '' सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है और कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी तर्क दिया था कि जमीनी धरातल पर इन मुद्दों को निपटाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया गया है। वहीं जब भी कोई शिकायत प्राप्त होती है तो अधिकारी तुरंत उस मामले में सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे सामने रखी गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए हम प्रतिवादी-भारत सरकार को कह रहे हैं कि वह इस तरह के मामलों पर स्वयं विचार करें। वहीं याचिका में उठाए गए मुद्दों को निपटाने के लिए वह सभी कदम उठाए,जो उनको उपयुक्त लगते हैं।'' दूसरी जनहित याचिका के संबंध में अदालत ने एसजी की दलीलों को तरजीह देते हुए कहा था कि, ''इस याचिका में जो राहत मांगी गई है उसके लिए पर्याप्त रूप से मंजूरी दे दी गई है क्योंकि सरकार ने 29 अप्रैल 2020 को उन श्रमिकों की आवाजाही के मामले को स्वीकार कर लिया था,जो प्रवासी श्रमिक ,तीर्थयात्री, पर्यटक और छात्र हैं और विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा पा रहे थे।'' शीर्ष अदालत ने कहा था कि,"श्री तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि रिट याचिका दायर करने से पहले ही उस पर चिंतन चल रहा था और सरकार इस पर विचार कर रही थी। एसजी ने यह भी बताया था कि बाद में 01 मई 2020 को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रेलवे ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गांवों या राज्यों में पहुंचाने के लिए ''श्रमिक स्पेशल''ट्रेन चलाने का फैसला भी किया था। इसके बाद फंसे हुए व्यक्तियों की पूर्वोक्त श्रेणी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने इन फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की कठिनाई को कम करने के हर संभव कदम उठाए हैं।'' कोर्ट ने पांच मई को याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि "इस तरह के परिवहन के लिए आवश्यक तौर-तरीके रेलवे के सहयोग से संबंधित राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने हैं। जहां तक श्रमिकों से रेलवे टिकट की राशि का 15 प्रतिशत वसूलने की बात है तो उस संबंध में यह अदालत अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी आदेश जारी नहीं करेगी। यह संबंधित राज्य/रेलवे का काम है कि वह संबंधित दिशानिर्देशों के तहत आवश्यक कदम उठाए। इस रिट याचिका में मांगी गई राहत को पूरा कर दिया गया है। इसलिए हम मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के लिए वकील द्वारा उठाए जाने वाले अन्य मुद्दों पर विचार करके कोर्ट इस रिट याचिका के दायरे का विस्तार नहीं कर सकती हैं। ऐसे में अब इस याचिका को लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।'' न्यायालय ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्वत संज्ञान मामले में नोटिस जारी करते हुए 26 मई को कहा था कि ''अखबारों की रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट में लगातार यह बताया जा रहा है कि प्रवासी मजदूर लंबी-लंबी दूरी पैदल पूरी कर रहे हैं या साइकिल आदि से चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इन रिपोर्ट में इन मजदूरों की दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थिति दिखाई जा रही है। इतना ही नहीं आज भी प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं जारी हैं क्योंकि बहुत सारे श्रमिक सड़क,रेलवे स्टेशन,हाईवे या राज्यों की सीमाओं पर फंसे हुए हैं। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार बिना कोई पैसा वसूले तुरंत इनके लिए पर्याप्त परिवहन,भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें।'' इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों पर केंद्र सरकार से कई सवाल किए। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ''सबसे पहले व्यक्ति की अपनी जेब में पैसा होना चाहिए। किसी भी प्रवासी से कोई किराया नहीं लिया जाना चाहिए। इस किराए को वहन करने के लिए राज्यों के बीच कुछ व्यवस्था होनी चाहिए।'' पीठ ने पूछा, ''जिन लोगों को वापिस उनके घर भेजा जा रहा है क्या किसी भी स्तर पर उनसे परिवहन का किराया मांगा जा रहा है? एफसीआई के पास अतिरिक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध है, ऐसे में क्या इन लोगों को उस समय भोजन की आपूर्ति की जा रही है,जब यह अपने घर जाने के लिए अपनी बारी आने की प्रतिक्षा करते हैंै?'' पीठ ने यह भी पूछा कि ''प्रवासियों को उनके घर वापिस भेजने के लिए आपको कितने समय की जरूरत है? वही इन लोगों के लिए भोजन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या निगरानी तंत्र बनाया गया है?''



COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने वाली याचिका पर SC ने केंद्र से जवाब मांगा


सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका में केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें कोरोना के रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने और क्वारंटाइन व संक्रमण के बाद की सुविधाओं के लिए अस्पतालों में दाखिल के प्रयोजनों के लिए पारदर्शी तंत्र बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता अविषेक गोयनका ने अदालत को बताया कि निजी अस्पताल COVID रोगियों से अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं, जिससे यह अधिकांश रोगियों के लिए दुर्गम हो जाता है, जिससे अनुच्छेद 14 और 21 प्रभावित होते हैं।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर ऊपरी सीमा लगाने के लिए केंद्र की ओर प्रतिक्रिया दर्ज करें। कोर्ट ने एक सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अस्पतालों में दाखिले की मनमानी प्रक्रिया रोगियों के स्तर को आधार बनाती है और जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं वो अलग रखे जाते हैं।याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं हैं- • " उत्तरदाताओं और बीमा कंपनियों को तुरंत, पूर्ण दावों, जो कि सरकार द्वारा निर्दिष्ट दरों के अनुसार हैं, देने के लिए उचित रिट/ निर्देश जारी करें। • उत्तरदाताओं को मरीज की पसंद और सामर्थ्य के अनुसार, कोविद -19 संक्रमण के मामले में निजी अस्पतालों की सुविधा के तुरंत लाभ के लिए तंत्र तैयार करने और विज्ञापित करने के लिए उचित रिट / दिशा- निर्देश जारी करें, • उत्तरदाताओं को COVID- 19 क्वारंटाइन के लिए तुरंत निजी सुविधा प्राप्त करने के लिए तंत्र बनाने और विज्ञापन देने के लिए उचित रिट/ दिशा- निर्देश जारी करें" इस पृष्ठभूमि में, याचिका कई समाचार रिपोर्टों पर निर्भर है जो यह सुझाव देते हैं कि बीमा कंपनियों ने कई लोगों के बीमा दावों को रोक दिया है और काउंटरों पर उनके लिए कैशलेस सुविधाओं से इनकार कर रहे हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस मुश्किल समय में कई नागरिकों को परेशानी में पहुंचा दिया है। "ये असाधारण समय हैं और कई नागरिकों को बिना किसी आय के छोड़ दिया गया है। उनकी बचत को भी नुकसान हुआ है। यदि दाखिले के दौरान कैशलेस की सुविधा नहीं दी जाती है, तो पर्याप्त नकदी के बिना रोगियों को अधर छोड़ दिया जाएगा और उन्हें निजी अस्पतालों में प्रवेश से सुसज्जित होने के बावजूद घटिया सरकारी सुविधाएंलेने के लिए मजबूर किया जाएगा। इसी प्रकार यदि डिस्चार्ज के दौरान दावों का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है, तो रोगी को अस्पताल से छोड़ा नहीं जाएगा, जब तक कि रोगी परिवार, शेष राशि का भुगतान नहीं करता है। याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार के निजी अस्पतालों के लिए जो दरें तय करने का हवाला देते हुए कहा गया है कि केंद्र उक्त उद्देश्य के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाकर ऐसा कर सकता है। "सरकार को उन क्षेत्रों के लिए, जहां कोई नीति नहीं है, नीतियों को बनाने करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। क्योंकि एक नीति की अनुपस्थिति अराजकता और भ्रम को बढ़ाती है। केंद्र सरकार के परिपत्रों में ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जो नोडल विंडो की स्थापना का निर्देश देता हो जो पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार को निजी -क्वारंटाइन और / या अस्पताल की सुविधाओं के लिए निर्देशित कर सकते हैं। "





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