जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित’’ उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 20000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है, जिसमें से रू0 15000 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण के रूप में तथा रू0 5000 की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। दुकान संचालन हेतु दुकान न्यूनतम पाॅच वर्ष के लिए किराये पर लिये जाने हेतु एवं खोखा/गुमटी/हाथ ठेला क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 10000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है। जिसमें रू0 7500 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में दी जाती है। जिसमें 7500 की धनराशि 4 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में तथा रू0 2500 की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है। ऐसे निराश्रित दिव्यांगजन जो 40 प्रतिशत या इससे अधिक की दिव्यंागता से प्रभावित है हो एवं उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हो। जिनकी वार्षिक आय समय-समय पर शासन द्वारा गरीबी रेखा के लिए निर्धारित आय सीमा के दो गुने से अधिक न हों। जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक किन्तु 60 वर्ष से अधिक न हों। जो किसी आपराधिक अथवा आर्थिक मामलों में सजा न पाये हों तथा जिनके विरूद्व किसी प्रकार की सरकारी धनराशि देय न हों। जिनके पास दुकान निर्माण हेतु स्वयं क 110 वर्गफिट भूमि हों या अपने संस्त्रोंतों से उक्त क्षेत्रफल की भूमि खरीदने/लेने में समर्थ हों। अथवा स्थानीय निकाय/उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद/विकास प्राधिकरण/प्राइवेट बिल्डर्स तथा एजेन्सी से निर्मित दुकान क्रय हेतु, किन्तु दुकान का क्रय किसी परिवारीजन के नाम से अनुमन्य नही होगा। अथवा जिनके द्वारा कम से कम पाॅच वर्ष की अवधि का किरायेदारी का पट्टा कराया जायें उन्हे उपलब्ध दुकान संचालन हेतु (किराया एवं कार्यशील पूॅजी) अथवा जिनके द्वारा गारन्टी/बन्धक उपलब्ध कराया जायें उन्हें खोखा/गुमटी/हाथ ठेला के क्रय एव कार्यशील पूॅजी हेतु दिया जायेगा। ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जो विभाग द्वारा संचालित कार्यशाला से प्रशिक्षित हो अथवा आई0टी0आई0/पालीटेकनिक या किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त/डिप्लोमा प्रमाणपत्र धारी है और उसी क्षेत्र में व्यवसाय करना चाहता है, उसे वरीयता दी जायेगी। दिव्यांग दुकान पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/संचालन येाजना के अन्तर्गत इच्छुक/पात्र दिव्यांगजन वर्तमान वित्तीय वर्ष में योजना की बेबसाइट http://
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मंगलवार, 21 जुलाई 2020
उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई,जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक
जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई । बैठक में जिला बाल संरक्षण अधिकारी संतोष कुमार सोनी द्वारा चयन सेवा संचालन की जानकारी प्रदान की गई। चाइल्डलाइन की तरफ से अभिषेक उपाध्याय द्वारा माह अप्रैल से अब तक आए हुए मामलों का विवरण समिति के समक्ष रखा गया। जिलाधिकारी द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि चाइल्ड लाइन के कार्यालय का निरीक्षण करे। बैठक में संप्रेक्षण गृह जौनपुर के निर्माण की समीक्षा की गई तथा अनुस्मारक पत्र भेजे जाने का निर्देश दिया गया ।किशोर न्याय बोर्ड की समीक्षा में विदिशा प्रशासनिक अधिकारी मुरलीधर गिरी द्वारा अवगत कराया गया कि किशोर न्याय बोर्ड जौनपुर में 1211 मामले लंबित हैं । वर्तमान समय में जौनपुर के 49 बच्चे राजकीय संप्रेक्षण गृह वाराणसी एवं 4 बालिकाएं राजकीय संप्रेक्षण गृह बाराबंकी में संरक्षित है। स्पॉन्सरशिप योजना की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सभी उप जिलाधिकारियों एवं सभी खंड विकास अधिकारियों से वंचित बच्चों के प्रस्ताव प्राप्त कर लिए जाएं एवं सभी प्रस्तावों की अपने स्तर से जांच करा कर ही स्वीकृति हेतु प्रेषित किया जाए। उपयुक्त व्यक्ति उपयुक्त संस्था की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि इतने बड़े जनपद में उपयुक्त व्यक्ति और उपयुक्त संस्था का चयन होना चाहिए ।इसके लिए अच्छी संस्थाओं एवं गणमान्य नागरिकों से वार्ता कर उनका आवेदन प्राप्त किया जाए एवं बाल कल्याण समिति जौनपुर से उपयुक्त उपयुक्त घोषित कराएं जिससे जनपद के संरक्षण वाले बच्चों को उसका लाभ प्राप्त हो सके। बाल विवाह की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि सोशल मीडिया के माध्यम से बाल विवाह के संबंध में जनमानस को जागरूक करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समिति एवं ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति की बैठकों के संबंध में निर्देशित किया गया कि इस हेतु रोस्टर जारी कराएं एवं रोस्टर के अनुसार सभी ब्लॉक एवं ग्राम पंचायतों में बाल संरक्षण समिति की बैठक अवश्य हो ।
बैठक बाल कल्याण समिति के कार्यों की समीक्षा की गई जिसमें बाल कल्याण समिति के सदसय धनंजय सिंह द्वारा बाल कल्याण समिति के प्रकरणों को विस्तार से बताया गया। जिलाधिकारी ने किशोर न्याय अधिनियम के तहत कोई भी कार्य बाधित नहीं हो,बच्चों के संबंध में होने वाले हर कार्य सजगता से पूर्ण करते हुए जनपद के बच्चों को उसका लाभ दिलाया जाए। बैठक में बाल कल्याण समिति के सदस्य आनंद प्रधान ममता श्रीवास्तव सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश चंद्र यादव बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से श्री आशीष श्रीवास्तव जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश मिश्रा कुलदीप सिंह सहायक श्रम आयुक्त बाल संरक्षण
राम जन्मभूमि पर खुदाई में पाई गई कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाले दो याचिकाकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मंदिर के निर्माण के दौरान अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के आसपास की भूमि की खुदाई करते समय पाए जाने वाले प्राचीन अवशेषों और कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की 3 जजों की पीठ ने याचिका को अयोध्या भूमि विवाद के फैसले के कार्यान्वयन को रोकने के प्रयास के रूप में देखा और परिणामस्वरूप इसे तुच्छ समझा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने यह दावा करने का प्रयास किया कि उनकी प्रार्थना केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) स्थल पर लेवल करने और खुदाई का पर्यवेक्षण कर सकता है और जो भी कलाकृतियों और पुरावशेष मिले हैं उन्हें जब्त कर सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह पूछने के लिए हस्तक्षेप किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अदालत के समक्ष ऐसी याचिका क्यों दायर की गई थी।
याचिका खारिज करने के लिए जाने के बाद, न्यायमूर्ति मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा कि "इस तरह की तुच्छ याचिकाएं दायर करना बंद करो! इससे आपका क्या मतलब है? क्या आप कह रहे हैं कि कानून का कोई नियम और न्यायालय का फैसला (अयोध्या का फैसला) लागू नहीं होगा और कोई भी कार्रवाई नहीं करेगा? " सॉलिसिटर जनरल द्वारा इस याचिका को दायर करने के लिए जुर्माना लगाने का आग्रह करने पर, न्यायमूर्ति मिश्रा ने प्रत्येक याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिए कहा जिसे एक महीने की अवधि के भीतर जमा करना होगा।
याचिकाकर्ताओं, जो प्राचीन गुफाओं और स्मारकों के क्षेत्र में शोधकर्ता हैं, ने एएसआई के लिए इस याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था कि वह अपने आस-पास के क्षेत्रों के साथ प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के स्थल की खुदाई करवाए ताकि प्राचीन कलाकृतियां, पुरावशेष और स्मारकों को पुनर्प्राप्त किया जा सके और उनका विश्लेषण करने में वैज्ञानिक अनुसंधान किया जाना चाहिए। ASI द्वारा खुदाई कार्य करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, यह इंगित किया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद 2003 में भी ऐसा ही किया गया था, लेकिन राम मंदिर निर्माण के स्थल पर कोई खुदाई नहीं की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया जो बताती हैं कि मई में मलबे को हटाने के दौरान साइट पर कुछ कलाकृतियां पाई गई थीं, लेकिन एएसआई या केंद्र सरकार को नहीं सौंपी गई थीं। इसके बजाय, यह सूचित किया गया है, इन प्राचीन अवशेषों को साइट पर ही छोड़ दिया गया है, वो भी बिना किसी सुरक्षा के। इस प्रकार, यह प्रार्थना की गई कि केंद्र, राज्य सरकार, एएसआई और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि " प्रतिवादी संख्या 6 (राम जन्मभूमि तीर्थ) से प्राचीन अवशेष, कलाकृतियों, पुरावशेषों और स्मारकों का अधिग्रहण किया जाए, जो मई 2020 के महीने में अयोध्या, जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम के जन्म स्थान की भूमि को समतल करने और खुदाई करने के दौरान पाए गए थे और भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 (1) और 49, 1950 और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थलों के प्रावधान और अधिनियम, 1958 के अनुसार उनका संरक्षण किया जाए।" याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षित किया कि बरामद कलाकृतियों को बिना किसी वैज्ञानिक अनुसंधान या विश्लेषण के हिंदू संस्कृति और धर्म के अवशेषों के रूप में पेश किया जा रहा है। "... उक्त कलाकृतियां और मूर्तियां प्राचीन भारतीय संस्कृति तक पहुंचने के अवशेष हैं और इसलिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है और उनके मूल में वैज्ञानिक, पुरातत्व अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।" इसके अतिरिक्त, यह आरोप लगाया गया कि महानिदेशक (DG), ASI, जो प्राचीन स्थलों और स्मारकों के संरक्षण और संरक्षण के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, की देखरेख में खुदाई और समतल गतिविधियां नहीं की जा रही हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्थानीय अधिकारी और सक्षम एएसआई अधिकारी भी खुदाई के दौरान साइट पर मौजूद नहीं हैं और समतल करने का काम किया जा रहा है, इसलिए इसी तरह पड़ा कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त नहीं किया जा रहा है। अपनी दलीलों पर जोर देने के लिए, यह बताया गया कि हैदराबाद के दलित अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष ने दावा किया है कि उनका प्राचीन बौद्ध संस्कृति और साहित्य के साथ एक निकट संबंध है। सम्यक विश्व संघ के सचिव द्वारा लिखे गए एक पत्र का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें महानिदेशक, एएसआई को कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त करने और संरक्षित करने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा, "यह भी पता चला है कि कहा जाता है कि प्राचीन कलाकृतियां और स्मारक इस स्थल पर क्षतिग्रस्त होने और नष्ट होने के गंभीर कारण हैं। इसलिए, बरामद प्राचीन कला प्रभाव के नुकसान की आशंका से पीड़ित याचिकाकर्ता इस माननीय न्यायालय के समक्ष संपर्क करने के लिए विवश हैं।" यह कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे पर महानिदेशक, एएसआई और अन्य अधिकारियों को इस तरह के मामलों के संरक्षण के लिए एक प्रतिनिधित्व दिया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। निर्माण प्रक्रिया को रोकने के प्रयास के किसी भी विचार का खंडन करने के लिए, याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रार्थना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि " जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण करते समय" फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को खुदाई की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया जाए।
सोमवार, 20 जुलाई 2020
समाजसेवी ने किया भव्य शोरूम का उद्घाटन
बुधवार, 24 जून 2020
जहा खुदगर्ज हाकिम हो वहा फरियाद क्या करना
जौनपुर, देश दुनिया मे जौनपुर सितारे हिंद के नाम से मशहूर है शायद यहा कभी बहुत बड़े बड़े काम करके यहा के लोगो ने यह प्रसंसनीय खिताब पाया है, मगर आज का जौनपुर पूरी तरह से भ्रष्टाचार के दल द लमे डूबता जा रहा है ऐसे मे समझ मे भ्रष्टाचारियो की शिकायत करने से पहले यह गीत याद आ जाता है कि “ चिंगारी कोई भड़के ,तो सावन उसे बुझाये , सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये?” यही गीत इस प्रकरण मे एकदम सटीक बैठता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सरायख्वाजा अंतर्गत शिकारपुर चैकी (Shikarpur Chauki) के पुलिस कांसटेबल सुशील कुमार यादव एवं ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) के लेखपाल धर्मव्रत यादव से बुरी तरह पीड़ित व्यक्ति रामकृष्ण यादव पुत्र विजय बहादर यादव निवासी ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) थाना सरायख्वाजा जनपद जौनपुर ने अपने लिखित बयांन मे बताया है कि वह लगभग 4 वर्ष से पुलिस विभाग तथा राजस्व विभाग द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है पीड़ित के बयांन के अनुसार दिनांक १८ध्६ध्२०२० को हल्का लेखपाल धर्मव्रत यादव कानूनगो रवि शंकर दो सिपाहियों के साथ दिन में 10रू30 बजे पीड़ित की अनुपस्थिति में पीड़ित के घर आ पहुंचे घरवालों के पूछने पर लेखपाल द्वारा बताया गया कि विपक्षी प्रेमचंद यादव पुत्र निरहू यादव गुलाब चंद यादव पुत्र घूरहु यादव द्वारा शिकायत की गई है आप लोग मुकदमे की जमीन 1388क व 1401 पर नव निर्माण कार्य कर रहे हो जिसे सुनकर घरवाले आश्चर्यचकित हो गए क्योकि लेखपाल साहब जिस निर्माण कार्य की बात कर रहे थे वह सब कार्य जैसे घर मड़हा लैट्रिंग आदि पूर्व समय में कानूनी कार्यवाही के तहत 1388क व 1401 आराजी नम्बर के बाहर बाहर किया गया था मौके पर उपस्थित लोगों ने लेखपाल से जांच करने के लिए कहा तो जाच मे पीड़ित के सभी कार्य आ0न0 1388क व 1401 के बाहर पाया गया इसके बावजूद लेखपाल धर्मव्रत यादव के कहने पर पुलिस बल के द्वारा पीड़ित के बुजूर्ग दादा एवं बहन को धमकाते हुए कहा गया कि आ0न0 1398 अविभाजित लैंड में भी कोई कार्य नहीं करेंगे जिस पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा है। जब घर वालों ने पूछा आप किस अधिकारी के आदेश पर तथा किस शिकायत पर पुलिस बल के साथ मेरे घर आए हैं तो लेखपाल द्वारा कहां गया कोई प्रार्थना पत्र नहीं है केवल सादे कागज पर लिखकर बताया गया है कि आप यहां कोई कार्य नहीं करेंगे हम इस क्षेत्र के लेखपाल है हम जो कहेंगे वही प्रार्थना पत्र मे शिकायत है और जिस काम के लिए मना करेगे वही कानून है। पीड़ित परिवार के साथ घटने वाली यह घटना पहली बार नहीं थी पीड़ित के अनुसार इसी तरह उसके सामने ही लेखपाल एवं पुलिस द्वारा विपक्ष से पैसे का लेनदेन कर पीड़ित परिवार को पुलिस व राजस्व विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है जिसका पीड़ित के पास पुख्ता सबूत हैपीड़ित के अनुसार लेखपाल एवं पुलि के द्वारा निम्नलांकित तिथियो मे विपक्षी से पेसा लेकर मनमाना कार्यकर पीड़ित का मानसिक शोषण किया गया है। पीड़ित का पुराने घर को तोड़कर नया घर बनाया जा रहा था विपक्षी द्वारा पुलिस से पैसे का लेनदेन कर दिनांक 16.6.2016 को पीड़ित का बनाया जा रहा घर रुकवा दिया गया और कहा गया कि जिस आ0न0 1388क व 1401 पर कार्य हो रहा है उस जमीन पर मुकदमा है विपक्षीयो द्वारा राजस्व एवं पुलिस बल के सहयोग से पीड़ित का कार्य जबरन रोक दिया गया जिसमे पीड़ित द्वारा दिनांक16.9.2016 को एसडीएम सदर के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 16 मई 2016 को थाना इंचार्ज के के मिश्रा द्वारा मुकदमे की जमीन को सीमांकन करने के लिए कहा गया। दिनांक 4.10.2016 को राजस्व विभाग द्वारा जांच कर बताया गया की घर का निर्माण मुकदमे की जमीन से बाहर की जमीन में हो रहा है तब जाकर पीड़ित का घर बना।
इसी तरह विपक्षी द्वारा दिनांक 3.5.2017को पीड़ित द्वारा बनवाया जा रहा लैट्रिंग और छप्पर पुलिस द्वारा रुकवा दिया गया । पुन्ह दिनांक 30.3.2017 को एसडीएम के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 25 .4.2017 को एसआई हरि प्रकाश यादव द्वारा विवादित जमीन का सीमांकन करने के लिए कहा गया दिनांक 15 मई 2017 को राजस्व विभाग द्वारा छप्पर व लैट्रिन को विवादित जमीन से बाहर बताया गया तब जाकर कार्य हुआ।
इसी तरह घटनास्थल पर पडे ईट दिनांक 18. 6.2018 को गिराया गया है जिसका पूर्णता जिक्र जनता दर्शन में दिए गए प्रार्थना पत्र संख्या 15194180142031 में है।सबसे अधिक कष्ट इस बात की है की राजस्व विभाग व पुलिस द्वारा आज तक विपक्षियों को गुमराह कर पैसा लिया जा रहा है उन्हें 1388 का व 1401 का सही स्थान बताया ही नहीं जा रहा है न तो सीमांकन किया जा रहा है क्योंकि हल्का लेखपाल एवं सिपाही को पता है कि हकीकत बता दिया जाएगा तो दोबारा पैसा नहीं मिलेगा इस प्रकार चन्द रूपयो की लालच मे अपने कर्तव्य को भूलकर लेखपाल एवं सिपाही द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है हल्का लेखपाल एवं कांसटेबल द्वारा कि गयी कई घटनाएं हैं जिसको सारा गाव जानता है।
पीड़ित के अनुसार पीडित के घर से कुछ दूरी पर पैसे के लेनदेन की घटना पूरे गाव मे प्रचलित हो चुकी है जानकारी के अनुसार ग्राम सभा हरबसपुर निवासी राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य 5 कड़ी नाली का विवाद चल रहा है जिस पर राम अजोर पक्ष से उस पर अपूर्ण घर बना लिया गया है जब इसकी शिकायत इंद्रजीत व सभा जी द्वारा एसडीएम से की गई तो राम अजोर पक्ष पर 15c का मुकदमा 67A. 3/5 एफ आई आर दर्ज की गई है मुकदमा होने के बावजूद भी लेखपाल व कानूनगो पैसे का लेनदेन कर हर दसवे दिन उस नाली का माप करवाते हैं अलग.अलग सरहदों को पैमाना मानते हैं और पूरी कोशिश करते है कि किसी प्रकार नाली को घर से बाहर दिखाया जाए जिससे राम अजोर का अपुर्ण घर पूर्ण हो जाये किंतु यह कहने के लिए है हकीकत यह है कि लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा राम अजोर अजीत आदि पक्ष को बेवकूफ उनसे पैसा ऐठा जाता है। लेखपाल धर्मव्रत यादव एवं राजस्व निरीक्षक की करतूत इसी से पता चलती हे कि पीड़ित के आ0न0 1398 पर मु0 न होने के बाद भी उसे विवादित बताकर बिना लिखित शिकायत के रोकने आनेवाले लेखपाल राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य मुकदमे होने के हर दसवे दिन विवादित जमीन को नापने आ जाते हैं इस प्रकरण मे पैसों का लेनदेन हरबसपुर निवासी बलराम यादव द्वारा किया जाता है जो वर्तमान में क्षेत्र पंचायत सदस्य है इस प्रकार की कई घटनाएं हैं। जबकि इसके विपरीत गांव के किसान मजदूर द्वारा 50 बार प्रार्थना पत्र देने के पश्चात सड़क नाली चक नहीं मापी जाती है बलराम यादव द्वारा पैसे के लेनदेन करने पर एक सादे कागज पर बिना किसी अनुमति के लेखपाल व पुलिस माप के लिए तैयार हो जाते हैं जिसमें पुलिस की भी अच्छी खासी कमाई हो जाती है,अपने सिपहसालारो के इस प्रसंसनीय कार्य से अंजान जिले के आला अधिकारी अंजान बैठे है या इनको जानकारी है फिर भी गरीब जनता का खून चूसने के लिए धर्मव्रत यादव जैसे रिस्वतखोर दीमक को खुला छोड़ रखे है जो पीड़ित गरीब के मन से कानून का भरोसा खतम कर रहा है।
गुरुवार, 18 जून 2020
प्रदेश सरकार ने लाॅकडाउन अवधि में 14.6 करोड़ लोगों को अब तक पाँच चरणों में 36.40 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का किया वितरण
कोरोना वायरस के फैलने से पूरा देश लाॅकडाउन हो गया। यह महामारी ऐसे समय फैली की आम व्यक्ति इसके लिए तैयार नहीं था। लोगों का जीवन सामान्य गति से चल रहा था। हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग विभिन्न उद्यम करके दैनिक आमदनी से अपनी आजीविका चलाते है। कोविड-19 केे कारण आमजन सुरक्षित रहे, और यह वायरस अन्य लोगों में फैलने न पाये, इसी को दृष्टिगत रखते मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था, कि ‘‘हमे जान भी चाहिए और जहाॅन भी चाहिए‘‘। मा0 प्रधानमंत्री जी की बात को ध्यान में रखते हुए पूरे देश के सभी लोगों ने लाॅकडाउन का पूरा पूरा पालन किया। सभी तरह की मशीनरी बन्द हो गयी। प्रधानमंत्री जी को यह जानकारी थी कि देश में बड़ी जनसंख्या दैनिक आमदनी पर निर्भर है, इसलिए उन्होंने पूरे देश के गरीबों, दैनिक मजदूरों आदि के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना एवं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत देश की जनता में खाद्यान्न वितरित कराने की व्यवस्था की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी लाॅकडाउन के तहत गरीबों, श्रमिकों, आमजन को सार्वजानिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करते हुए प्रदेश के सभी जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रहे है। मुख्यमंत्री जी का ध्येय है कि पूरे प्रदेश मंे कोई व्यक्ति भूखा न रहे, सभी जरूरतमंदों को खाद्यान्न वितरित किया जाय। जिन परिवारों के राशन कार्ड है या जिनके पास नहीं है, ऐसे सभी पात्रों को खाद्यान्न वितरित किया गया। प्रदेश में अन्य प्रदेशों से वापस आये श्रमिकोें/कामगारों को भी खाद्यान्न दिया जा रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी की घोषणा के क्रम में प्रदेश में आत्मनिर्भर भारत योजनान्तर्गत ऐसे प्रत्येक प्रवासी/अवरूद्ध प्रवासी को, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत आच्छादित नहीं है, उन्हें 03 किलोग्राम गेहूं, 02 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट की दर से तथा प्रति परिवार 01 किलोग्राम चना निःशुल्क वितरित किया जा रहा है। सरकार की इस योजना से लाखों श्रमिकों कामगारों को लाभ मिल है। उन्हेें निशुल्क खाद्यान्न वितरित करते हुए खाद्य सुरक्षा प्रदान की जा रही है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत निःशुल्क 5 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट व निःशुल्क 01 किलोग्राम चना प्रति कार्ड के हिसाब से वितरित करने की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में अब तक 14.6 करोड़ लोगों को 05 चरणों के वितरण में 36.40 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया है। 20 जून, 2020 से छठे चरण का खाद्यान्न वितरित होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि प्रदेश के किसी कोने से ऐसी कोई समस्या नहीं आई कि किसी गरीब, असहाय, श्रमिक को खाद्यान्न न मिला हो। लाॅकडाउन के समय सभी जरूरतमंदो को खाद्यान्न दिया गया और दिया जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति/परिवार के पास राशनकार्ड नहीं है फिर भी उसे राशन दिया गया। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा 01 मई से लागू किये गये राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी के तहत 8.64 लाख अन्तःजनपदीय एवं 63,503 से अधिक अन्तर्जनपदीय लाभार्थियों ने राज्य स्तरीय पोर्टबिलिटी का लाभ उठाया है। हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के श्रमिकों/कामगारों को भी खाद्यान्न का वितरण किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगजनों, निःशक्तजनों तथा हाॅटस्पाट एरिया जहां पूर्ण लाॅकडाउन है, उन क्षेत्र के परिवारों को राशन की होम डिलीवरी की जा रही है। हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को राशन दिया जा रहा है।
लाॅकडाउन के दौरान बहुत से ऐसे परिवार, श्रमिक, गरीब और निःसहाय लोग थे, जिनके पास खाद्यान्न तो था किन्तु किसी कारणवश भोजन बना नहीं पाते थे। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जिसके माध्यम से गांवों में खाना बनाकर परिवारों, श्रमिकों को बना-बनाया भोजन आपूर्ति किया गया। प्रदेश में कम्युनिटी किचन के माध्यम से 6.50 करोड़ से अधिक भोजन पैकेट लोगों के मध्य वितरित किया गया। प्रदेश सरकार कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में अन्य प्रदेशों से आने वाले श्रमिकों/कामगारों को प्रवास के लिए विभिन्न क्वारंटीन सेन्टर एवं ट्रांजिट कैम्प बनाये गये हैं, जहां वह निवासित हैं। ऐसे लोगों को विशेष सतर्कता बरतते हुए अनुमन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति उसी सेन्टर में की जा रही है। ताकि लाभार्थियों के सुगमतापूर्वक इस योजना का लाभ प्राप्त हो जाय और उन्हें उचित दर की दुकानों पर न जाना पड़े।
कोविड-19 के कारण हुए लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार की सुदृढ़ सुव्यवस्थित वितरण प्रणाली के कारण ही प्रदेश के गांवोे, कस्बों, नगरों, में हर जरूरमंद को खाद्यान्न लगातार मिल रहा है। उ0प्र0 के श्रमिक/ कामगार जो देश के अन्य प्रदेशों से आये हैं, उन्हें प्रदेश सरकार सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा मुहैया करा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के निर्देश के क्रम में जिनके पास राशनकार्ड नहीं है, अथवा राशनकार्ड मिलने में देरी हो रही है, ऐसे लोगो को ग्राम प्रधान पंचायत निधि से 1000 रूपये दे रहे है। इसके लिए पंचायती राज विभाग द्वारा बजट जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री जी ने नये राशनकार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिये है।
टेलीकॉम कंपनियो से अपने वित्तीय दस्तावेज़ जमा करने को कहा , सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दूरसंचार विभाग (डीओटी) के आवेदन, जिसमें 20 साल से अधिक समय में एजीआर से संबंधित बकाया का निपटान करने की अनुमति लेने की मांग की गई है, उस पर विचार करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को अपने वित्तीय दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दूरसंचार कंपनियों के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए डीओटी को समय दिया। केस जुलाई के तीसरे सप्ताह के दौरान सुनवाई के लिए लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान, पीठ ने सुरक्षा और गारंटी के बारे में पूछा जो बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों से मांगी जा सकती है। वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसने पहले ही डीओटी को 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक गारंटी डीओटी के पास है, जिसे सिक्योरिटी माना जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि 20 साल से अधिक की किश्तों में भुगतान AGR की बकाया राशि को चुकाने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने कहा, "कंपनी को कमाना और भुगतान करना है, और यही एकमात्र तरीका है।" पीठ ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वोडाफोन एक "बड़ी विदेशी कंपनी" है और उन्हें कुछ डाउन पेमेंट करना होगा। न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कहा, "आपको कुछ राशि जमा करनी चाहिए। सरकार को जनता के लिए इस धन की आवश्यकता है, विशेष रूप से महामारी के दौरान।" टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार ने कहा कि उनके मुवक्किल ने 37000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि महामारी ने कंपनी की आय को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारती एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एएम सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पहले ही 21000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि डीओटी के पास 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी लंबित है। यह मुद्दा गैर-दूरसंचार स्रोतों से राजस्व को शामिल करने के लिए 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (एजीआर) की व्याख्या करने वाले सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2019 के फैसले से भी उठा, जिसके परिणामस्वरूप टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार लाइसेंस के उपयोग के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी का सामना करना पड़ा। मार्च में, DoT ने एक आवेदन दायर कर टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल से अधिक की अवधि में बकाया राशि का निपटान करने की अनुमति देने की मांग की थी। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने गैर-दूरसंचार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, (जैसे गेल ) के खिलाफ समायोजित सकल राजस्व की 4 लाख करोड़ रुपये की 96 प्रतिशत राशि को वापस लेने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अक्टूबर 2019 के फैसले में ये कहा था। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि "हमने एक निर्णय लिया है क्योंकि वे आम जनता को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में नहीं हैं, हम इन PSU के 96% से बकाया की मांग वापस ले रहे हैं।"
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र पर की गई रिपोर्टिंग में गलत बयान छापने का आरोप ,उत्तर प्रदेश पुलिस ने 'द स्क्रॉल' की पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शर्मा ने लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक गांव की हालत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रामनगर पुलिस थाने में एफआईआर दज कराने वाली माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान को गलत तरीके से प्रकाशित किया है और झूठे दावे किए हैं,पुलिस ने शर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के संबंधित प्रावधानों के साथ आईपीसी की धारा 501 (ऐसे मामलों का प्रकाशन या उत्कीर्णन, जो मानहानिकारक हों) और धारा 269 (लापरवाही, जिससे खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका हो) के तहत मामला दर्ज किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लॉकडाउन के प्रभावों पर आधारित अपनी रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक था- प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव में लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे लोग, सुप्रिया शर्मा ने माला के बयान को प्रकाशित किया था, जो कि कथित रूप से घरेलू कर्मचारी हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि माला को लॉकडाउन के दौरान बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा, उन्हें राशन की कमी तक पड़ गई। हालांकि, 13 जून की एफआईआर में माला देवी ने दावा किया है कि वह घरेलू कर्मचारी नहीं हैं और उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वह वाराणसी की नगरपालिका में ठेके पर सफाई कर्मी हैं, और उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किसी भी संकट का सामना नहीं किया। उन्हे भोजन भी उपलब्ध था। माला ने कहा, " शर्मा ने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा; मैंने उन्हें बताया कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार में किसी को कोई समस्या है।" एफआईआर में माला देवी कहती हैं, "यह कहकर कि मैं और बच्चे भूखे हैं, सुप्रिया शर्मा ने मेरी गरीबी और मेरी जाति का मजाक उड़ाया है। उन्होंने समाज में मेरी भावनाओं और मेरी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।" माला ने शर्मा और स्क्रॉल के एडिटर इन चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। स्क्रॉल डॉट इन ने हालांकि दावा किया है कि माला देवी की टिप्पणियों को "सटीकता" के साथ रिपोर्ट किया गया है और एफआईआर स्वतंत्र पत्रकारिता को "डराने और चुप कराने" का प्रयास है। स्क्रॉल एडिटोरियल ने वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा, "स्क्रॉल डॉट इन ने 5 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गांव की माला का साक्षात्कार किया। उनके बयान को आलेख में सटीकता के साथ रिपोर्ट किया गया। स्क्रॉल डॉट इन लेख का समर्थन करता है, जिसे प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से रिपोर्ट किया गया है। यह एफआईआर COVID-19 लॉकडाउन के दौरान कमजोर समूहों की स्थितियों पर रिपोर्टिंग करने की कीमत पर स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने और चुप कराने का एक प्रयास है।
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